सड़क किनारे बैठकर खाना खा रहे इस अंग्रेज़ की वायरल हो रही तस्वीरें, असलियत जान आप भी कर देंगे Salute

कुछ लोग इतने अच्छे होते हैं कि कई बार लोगों को उनकी अच्छाई पर शक होने लगता है। वैसे भी आज के ज़माने में जो अच्छा होता है उसी की सबसे ज़्यादा निंदा की जाती है। खैर छोड़िए हम यहां बात करने जा रहे हैं सोशल मीडिया पर वायरल होती एक मामूली सी तस्वीर का, जिसमें कुछ लोग सड़क किनारे बैठकर खाना खा रहे हैं। लेकिन इस मामूली सी तस्वीर को खास बनाया है उन लोगों में बैठे अंग्रेज़ जैसे दिखने वाले इस शख्स ने। इस शख्स को देखकर मन में बहुत से सवाल उठते हैं, कि आखिर ये अंग्रेज़ मांगकर खाने वाले लोगों के बीच कैसे पहुंचा, क्या इसके साथ कुछ बहुत बुरा हुआ है जिसके कारण आज ये इस हालात में है? और भी न जाने क्या-क्या।
सड़क किनारे बैठकर खाना खा रहे इस अंग्रेज की वायरल हो रही Photo, सच्चाई जान आप भी करेंगे इसे सैल्यूट
लेकिन, लेकिन, लेकिन…इन सब सवालों से काफी परे है इस शख्स की असली पहचान, जिसे जानने के बाद एक न एक बार आपको इन्हे दिल से सैल्यूट करने का दिल ज़रुर करेगा। जी हां, दरअसल छोटी से लेकर बड़ी जगहों पर अक्सर दिख जाने वाले इस शख्स का नाम है- ज्यां द्रेज। और आपको ये जानकर बेहद हैरानी होगी कि ज्यां यूपीए शासनकाल के दौरान के नैशनल एडवाइज़र रह चुके हैं।
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इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस सरकार की सफल योजना मनरेगा और सच को जानने का अधिकार देने वाली आरटीआई (RTI) जैसे कानूनों को लागू करवाने में इनकी बहुत बड़ी भुमिका रह चुकी है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये महान शख्स यहां तक पहुंचा तो कैसे? तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये तस्वीर है 14 सितंबर की जिसे दीपक यात्री नामक एक स्वतंत्र पत्रकार और फोटोग्राफर ने खींची थी।
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दरअसल, 11 से 15 सितंबर तक झारखंड के मनरेगा कर्मचारियों अपनी कुछ मांगों को लेकर दिल्ली जंतर- मंतर पर धरना दे रहे थे और वहीं उनके बीच मौजूद थे ज्यां द्रेज। 14 सितंबर की दोपहर धरना- प्रदर्शनकर्ताओं के लिए 1 गाड़ी भरकर खाना आया। जब सब लोग सड़क के किनारे बैठकर खा रहे थे तो ज्यां ने भी एक कटोरी मांगी और उनके बीच बैठकर खाने लगे, लेकिन दीपक ने उन्हे पहचान लिया और उन्हे भर पेट खाना खिलाने की कोशिश की, लेकिन ज्यां ने ये कहकर अधिक रोटी लेने से मना कर दिया कि सभी के लिए 2 रोटियां ही आई है तो मैं भी 2 रोटी ही खाउंगा।
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बता दें कि ज्यां बेल्जियम में पैदा हुए और महज़ 20 साल की उम्र में भारत आ गए। वर्ष 1979 से ही ज्यां भारत में रहने लगे और साल 2000 में उन्हे भारत की नागरिकता मिली। ज्यां ने दिल्ली के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट से अपनी पीएचडी की डिग्री ली और अब वे रांची विश्वद्यालय में पढ़ाते हैं। उसके अलावा ज्यां दिल्ली यूनिवर्सिटी व दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग लेक्चरार हैं। अर्थशास्त्र पर ज्यां की करीब 12 किताबें भी छप चुकी हैं और वे नोबल पुरुस्कार से सम्मानित लेखक अमत्या सेन के साथ मिलकर भी कई किताबें लिख चुके हैं।
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इसके अलावा वे भारत में भूखमरी, महिला उत्थान, बच्चों के स्वास्थ संबंधी जैसे कई प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित जदलपुर की सामाजिक कार्यकर्ता बेला भांटिया ज्यां की पत्नी है, हालांकि कई बार लोगों ने उनपर नक्सलियों का समर्थन करने का भी आरोप लगाया है।
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