आपने कई बार सुना होगा, कि प्रेमी जोड़ें ने ट्रेन के आगे कुदकर जान दी, एक परिवार ने जहर खाकर आत्महत्या की। दुनिया में कई जगहों पर लोग आत्महत्या करते है। लेकिन, अगर आपसे कोई पूछे कि क्या जानवर सुसाइड कर सकते हैं, तो शायद आपके पास इस सवाल का जवाब नहीं होगा। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से जानवरों ने सुसाइड करने की कोशिश की, हालांकि विशेषज्ञ अभी इस बात पर एकमत नहीं हैंए लेकिन इन तस्वीरों को देखकर आपको ये यकीन ज़रूर हो जाएगा कि एनिमल्स सुसाइड जैसी घटनाएं भी हुई हैं। तो जानते है जानवरों की आत्महत्याओं के बारें में
डॉल्फिन, जिसने अपने ट्रेनर की बाहों में किया सुसाइड
40 साल पहले डॉल्फिन ट्रेनर रिचर्ड ओबराय ने देखा कि कैथी नाम की एक डॉल्फ़िन ने 1960 के एक टीवी शो फ्लिपर में खुद को मार लिया। डॉल्फ़िंस और व्हेल्स में एक विशेषता होती है कि वे हमारी तरह सांस नहीं लेतीं, बल्कि उनकी हर एक सांस उनका एक सचेत प्रयास होती है, वे जब चाहें जिंदगी समाप्त कर सकती हैं। रिचर्ड कहते हैं कि कैथी उस दिन बहुत उदास थी, वो मेरी बाहों में तैर कर आई, मेरी आंखों में देखा, एक सांस ली, फिर दूसरी नहीं ली और वो टैंक में डूब गई। इस घटना ने रिचर्ड ओबराय को डॉल्फिन ट्रेनर से एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट में बदल दिया।
40 साल पहले डॉल्फिन ट्रेनर रिचर्ड ओबराय ने देखा कि कैथी नाम की एक डॉल्फ़िन ने 1960 के एक टीवी शो फ्लिपर में खुद को मार लिया। डॉल्फ़िंस और व्हेल्स में एक विशेषता होती है कि वे हमारी तरह सांस नहीं लेतीं, बल्कि उनकी हर एक सांस उनका एक सचेत प्रयास होती है, वे जब चाहें जिंदगी समाप्त कर सकती हैं। रिचर्ड कहते हैं कि कैथी उस दिन बहुत उदास थी, वो मेरी बाहों में तैर कर आई, मेरी आंखों में देखा, एक सांस ली, फिर दूसरी नहीं ली और वो टैंक में डूब गई। इस घटना ने रिचर्ड ओबराय को डॉल्फिन ट्रेनर से एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट में बदल दिया।
भेड़ों ने किया सुसाइड का प्रयास
2005 में तुर्की में लगभग 1500 भेड़ें एक पहाड़ी चट्टान से कूद गईं, उनमें से 450 भेड़ों की मौत हो गई, जबकि बाकी भेड़ें बच गईं, क्योंकि वे पहले गिरी भेड़ों के ऊपर गिरी थीं, जिससे उन्हें कम चोटें आईं थीं।
2005 में तुर्की में लगभग 1500 भेड़ें एक पहाड़ी चट्टान से कूद गईं, उनमें से 450 भेड़ों की मौत हो गई, जबकि बाकी भेड़ें बच गईं, क्योंकि वे पहले गिरी भेड़ों के ऊपर गिरी थीं, जिससे उन्हें कम चोटें आईं थीं।
कुत्ते ने किया सुसाइड
इस कुत्ते ने तब तक सुसाइड का प्रयास जारी रखा, जब तक कि वो उसमें सफल नहीं हो गया। 1845 में इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ ने एक रिपोर्ट दी, जिसमें न्यूफाउंडलैंड प्रजाति के एक काले, सुंदर कुत्ते की आत्महत्या का ज़िक्र था। उस रिपोर्ट के अनुसार, उस दिन वो कुत्ता अवसाद में दिख रहा था, कुछ देर बाद वो पानी में कूद गया और खुद को डुबोने की कोशिश करने लगा, कुत्ते को बचा लिया गया और बांध दिया गया, लेकिन उसे जैसे ही दोबारा खोला गया, वो फिर पानी में कूद गया, ऐसा कई बार हुआ, और अंत में कई प्रयासों के बाद वो डॉग पानी में डूब कर मर गया।
इस कुत्ते ने तब तक सुसाइड का प्रयास जारी रखा, जब तक कि वो उसमें सफल नहीं हो गया। 1845 में इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ ने एक रिपोर्ट दी, जिसमें न्यूफाउंडलैंड प्रजाति के एक काले, सुंदर कुत्ते की आत्महत्या का ज़िक्र था। उस रिपोर्ट के अनुसार, उस दिन वो कुत्ता अवसाद में दिख रहा था, कुछ देर बाद वो पानी में कूद गया और खुद को डुबोने की कोशिश करने लगा, कुत्ते को बचा लिया गया और बांध दिया गया, लेकिन उसे जैसे ही दोबारा खोला गया, वो फिर पानी में कूद गया, ऐसा कई बार हुआ, और अंत में कई प्रयासों के बाद वो डॉग पानी में डूब कर मर गया।
भालू ने मौत को गले लगाया
2012 में चीन में एक स्वस्थ भालू ने 10 दिनों तक खाना नहीं खाया और मर गया। एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में चीन में भालुओं की मौत के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, उनके गाल ब्लेडर में एक एंजाइम पाया जाता है, इसे पाने के लिए ही चीन में लोग इसे पालते हैं और छोटे पिंजरे में रखते हैं। इस एंजाइम को निकालने के लिए भालू के पेट में एक स्थायी चीरा लगाया जाता है, फिर एक कैथटर ट्यूब डालकर वो रस निकाला जाता है, यह प्रक्रिया बहुत ही दर्दनाक होती है और आमतौर पर दिन में दो बार की जाती है।
2012 में चीन में एक स्वस्थ भालू ने 10 दिनों तक खाना नहीं खाया और मर गया। एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में चीन में भालुओं की मौत के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, उनके गाल ब्लेडर में एक एंजाइम पाया जाता है, इसे पाने के लिए ही चीन में लोग इसे पालते हैं और छोटे पिंजरे में रखते हैं। इस एंजाइम को निकालने के लिए भालू के पेट में एक स्थायी चीरा लगाया जाता है, फिर एक कैथटर ट्यूब डालकर वो रस निकाला जाता है, यह प्रक्रिया बहुत ही दर्दनाक होती है और आमतौर पर दिन में दो बार की जाती है।
61 व्हेल्स का एक साथ सुसाइड करना
नवंबर 2011 में 61 व्हेल्स एक साथ न्यूजीलैंड के एक बीच पर आ गईं, इनमें से केवल 18 ही बच पाईं। व्हेल्स ने ऐसा क्यों किया, इसका कोई स्पष्ट कारण तो नहीं पता चला, लेकिन एक थ्योरी के अनुसार, जब एक व्हेल कुछ ऐसा करती है तो बाकी भी उसका अनुसरण करती हैं।
नवंबर 2011 में 61 व्हेल्स एक साथ न्यूजीलैंड के एक बीच पर आ गईं, इनमें से केवल 18 ही बच पाईं। व्हेल्स ने ऐसा क्यों किया, इसका कोई स्पष्ट कारण तो नहीं पता चला, लेकिन एक थ्योरी के अनुसार, जब एक व्हेल कुछ ऐसा करती है तो बाकी भी उसका अनुसरण करती हैं।
28 गायों ने किया एपेल्स की पहाड़ी से सुसाइड
अगस्त 2009 में स्विट्जरलैंड में 28 गाय और बैल एक ही पहाड़ी चट्टान से कूद कर मर गए। वैसे तो एल्पाइन क्षेत्र में इस तरह की घटना आम बात है, पर केवल तीन दिनों में एक ही जगह से इतनी सारी गायों का कूद कर मरना दुर्लभ घटना थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तूफ़ानों की भयंकर गर्जना इसके लिए जिम्मेदार होती है, वही पशुओं को ऐसा करने को उकसाती है।
अगस्त 2009 में स्विट्जरलैंड में 28 गाय और बैल एक ही पहाड़ी चट्टान से कूद कर मर गए। वैसे तो एल्पाइन क्षेत्र में इस तरह की घटना आम बात है, पर केवल तीन दिनों में एक ही जगह से इतनी सारी गायों का कूद कर मरना दुर्लभ घटना थी। स्थानीय लोगों के अनुसार, तूफ़ानों की भयंकर गर्जना इसके लिए जिम्मेदार होती है, वही पशुओं को ऐसा करने को उकसाती है।
इस पुल से कूद कर कुत्ते कर लेते हैं आत्महत्या
स्कॉटलैंड में एक ऐसा पुल है, जहां से कुत्ते आत्महत्या करते हैं। इस 50 फुट के पुल से अब तक बिना किसी कारण के 600 से ज़्यादा कुत्ते कूद चुके हैं, जिनमें से 50 की मौत हो चुकी है, वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि आख़िर कुत्ते ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसके पीछे कई तरह की कहानियां भी बताई जा रही हैं, कुछ लोगों का कहना है कि इसकी वजह पुल के पास स्थित 100 वर्ष पुराना किला हो सकता हैै
स्कॉटलैंड में एक ऐसा पुल है, जहां से कुत्ते आत्महत्या करते हैं। इस 50 फुट के पुल से अब तक बिना किसी कारण के 600 से ज़्यादा कुत्ते कूद चुके हैं, जिनमें से 50 की मौत हो चुकी है, वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि आख़िर कुत्ते ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसके पीछे कई तरह की कहानियां भी बताई जा रही हैं, कुछ लोगों का कहना है कि इसकी वजह पुल के पास स्थित 100 वर्ष पुराना किला हो सकता हैै
हर साल यहां सामूहिक आत्महत्या कर लेते हैं पक्षी
असम में जतिंगा नामक एक गाँव है, जिसकी कछार नामक घाटी की तलहटी में कूदकर हजारों पक्षी एक साथ एक मानसून के समय आत्महत्या कर लेते हैं, इसका रहस्य क्या है, इस बारे में वैज्ञानिक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। आश्चर्य की बात तो ये है कि कोई अकेला पक्षी यहां आत्महत्या करने नहीं आता, बल्कि समूह में ही वे घाटी की तलहटी में कूद जाते हैं, देखने वालों का कहना है कि मानसून की बोझिल रात में एक रोशनी की तरफ झुंड के झुंड पक्षी मुड़ जाते हैं और देखते ही वे सब देखते काल के गाल में समा जाते हैं।
असम में जतिंगा नामक एक गाँव है, जिसकी कछार नामक घाटी की तलहटी में कूदकर हजारों पक्षी एक साथ एक मानसून के समय आत्महत्या कर लेते हैं, इसका रहस्य क्या है, इस बारे में वैज्ञानिक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। आश्चर्य की बात तो ये है कि कोई अकेला पक्षी यहां आत्महत्या करने नहीं आता, बल्कि समूह में ही वे घाटी की तलहटी में कूद जाते हैं, देखने वालों का कहना है कि मानसून की बोझिल रात में एक रोशनी की तरफ झुंड के झुंड पक्षी मुड़ जाते हैं और देखते ही वे सब देखते काल के गाल में समा जाते हैं।