ट्रम्प ने हिंसा और लूटपाट पर अंकुश के लिए मिलिट्री लगाने की धमकी दी



राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हिंसा और लूटपाट की घटनाओं पर नियंत्रण लगाने के लिए सौ वर्ष पुराने राजद्रोह एक्ट लगाने की धमकी दी है। इस एक्ट के अधीन राष्ट्रपति को घरेलू संकट से निजात पाने और हिंसात्मक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मिलिट्री तैनात किए जाने के अधिकार हैं। इस में एक शर्त इतनी सी है कि राष्ट्रपति यह अधिकार तभी इस्तेमाल करते हैं जब स्टेट गवर्नर हिंसात्मक आंदोलन पर नियंत्रण कर पाने में विफल हो जाते हैं।

उन्होंने व्हाइट हाउस में रोज़ गार्डन से देश के नाम संदेश में कहा कि मौजूदा क़ानून के अंतर्गत एक शहर अथवा स्टेट में गवर्नर लोगों के जनजीवन को सुरक्षित रखने नें अपने को असमर्थ पाते हैं तो राष्ट्रपति अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर मिलिट्री को उन स्टेट और शहरों में तैनात कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ट्रम्प जिस समय देश के नाम यह संदेश दे रहे थे, उसी समय व्हाइट हाउसे के पिछवाड़े से अश्रू गैस के गोले और रबर बुलेट छोड़े जाने की ध्वनि सुनाई पड़  रही थी । विदित हो, ट्रम्प पिछले तीन दिनों से यह कहते आ रहे हैं कि हिंसात्मक आंदोलन और लूटपाट को नहीं रोका गया तो उन्हें मजबूरन मिलिट्री तैनात करने पर बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने शनिवार को डेमोक्रेटिक गवर्नर की ओर संकेत देते हुए कहा था कि उन्हें हर संभव हिंसा पर रोक लगानी ही होगी। 

इस से पूर्व राष्ट्रपति ने सोमवार को एतिहासिक सेंट जान चर्च का मुआयना किया और  इस चर्च के एक हिस्से में की गई आगज़नी की निंदा की। रविवार को कुछ उत्पाती लोगों ने इस चर्च के एक हिस्से में आग लगा दी थी। बताया जाता है कि इस आगज़नी और हिंसात्मक आंदोलन में 'एंटीफा' समूह के लोगों का हाथ है।

एंटीफा वामपंथी समुदाय के वे सदस्य हैं, जो हिंसात्मक तौर तरीक़ों से अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे है। इस  वर्ग का समाजवाद अथवा वाम मार्ग से कोई मतलब नहीं है, बल्कि अराजकता फैलाना है। कहा जा राहाहाई कि यही वह ग्रुप है, जिसकी वजह से पुलिस अपना काम नहीं कर पा रही है। एंटीफा का कामगार से मोह भंग हो चुका है, बल्कि वे अपना सारा ध्यान नस्लीय समस्याओं पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। न्यू यॉर्क पुलिस चीफ़ टेरेंस मोनाहन  ख़ुद प्रदर्शनकारियों के बीच घुस गए और उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।  
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