जवान और बुजुर्ग ही नहीं बच्‍चे भी हो सकते हैं अवसाद के शिकार



डिप्रेशन किसी भी आयु वर्ग के आदमी को प्रभावित करता है, जवान और बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्‍चे भी इससे प्रभावित होते हैं। अगर आपका बच्‍चा लगातार उदास रहता है, लोगों से बात नहीं कर एकांत में चला जाता है। वह स्‍कूल का होम वर्क नहीं करता और परिवार के लोगों से बात करने में हिचकता है,तब बच्चे में यह डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। डिप्रेशन अपने तरह की गंभीर बीमारी है, जो शरीर में और भी कई तरह की बीमारियों को लगा देती है, लेकिन इसका इलाज उपलब्‍ध है। बच्चों को स्‍कूल में दूसरे बच्‍चों द्वारा बहुत ज्‍यादा तंग करने पर डिप्रेशन हो सकता है।स्‍कूल में बच्‍चे को बुली करने पर आत्‍म-सम्‍मान को झटका लगता है। इससे भी बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं।

लगातार तनाव में रहने की वजह से भी बच्चे डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच जाते हैं। बार-बार पड़ने वाले किसी दबाव के कारण भी बच्‍चे इस स्थिति में पहुंच जाते हैं। पढ़ाई का अधिक प्रेसर होने के कारण भी डिप्रेशन बढ़ता है। जिन बच्‍चों के परिवार में कोई सदस्‍य डिप्रेशन का शिकार हो या हो चुका हो उस घर के बच्‍चों के डिप्रेशन में जाने का खतरा ज्‍यादा रहता है। वहीं ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन बच्‍चों की अवसाद की फैमिली हिस्‍ट्री न हो, उन्‍हें डिप्रेशन नहीं हो सकता। अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्‍चे में अवसाद का खतरा है तो उस परिवार के साथ रखें और खुश रखने का प्रयास करें।

वयस्‍कों की तरह बच्‍चे बदलावों को जल्दी स्‍वीकार नहीं कर पाते हैं। नए घर या स्‍कूल में जाना, पैरेंट्स का तलाक देखना या भाई-बहन या दादा-दादी का बिछड़ना, ये सभी चीजें बच्‍चे के दिमाग पर नकारात्‍मक असर डालती हैं। अगर आपको लग रहा है कि इन चीजों की वजह से आपका बच्‍चा प्रभावित हो रहा है तो जितना जल्‍दी हो सके, उससे इस बारे में बात करें। यदि किसी हादसे के बाद बच्‍चे के व्‍यवहार में बदलाव दिख रहा है तो आपको तुरंत डिप्रेशन की पहचान कर उसका इलाज कराना चाहिए। कुछ बच्‍चों में शरीर के अंदर रसायनों के असंतुलन के कारण अवसाद हो जाता है। हार्मोनल बदलाव और विकास होने के कारण ये असंतुलन हो सकता है, लेकिन ऐसा अपर्याप्‍त पोषण या शारीरक गतिविधियां कम करने की वजह से भी हो सकता है। बच्‍चे का विकास ठीक तरह से हो रहा है या नहीं, इसकी जांच के लिए नियमित चेकअप करवाते रहें।
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