भारत और ऑस्ट्रेलिया ने साइबर मामलों और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आपसी सहयोग की एक नई व्यवस्था की शुरुआत पर सहमति जताई है जिसके इनसे जुड़े मुद्दों पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाया जाएगा।
नई व्यवस्था के तहत ऑस्ट्रेलिया और भारत एक खुले, मुक्त और सुरक्षित इंटरनेट को बढ़ावा देने और उसे संरक्षित करने, डिजिटल व्यापार को बढ़ाने, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के अवसरों का दोहन करने और साइबर सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
ऑस्ट्रेलिया-भारत के नेताओं के बीच वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से हुए शिखर सम्मेलन में गुरुवार को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और उनकी समकक्ष मारिज पायने ने ऑस्ट्रेलिया-भारत फ्रेमवर्क व्यवस्था पर साइबर और क्रिटिकल टेक्नोलॉजीज सहयोग पर हुए समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग और रोबोटिक्स जैसी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां लोगों, व्यवसायों और व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों द्वारा संचालित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षा या समृद्धि के लिए जोखिम पेश नहीं करें।
व्यवस्था के तहत ऑस्ट्रेलिया-भारत साइबर और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप में चार साल के दौरान 1.27 करोड़ डॉलर खर्च करेंगे। यह साझेदारी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायों और शोधकर्ताओं के लिए एक अनुसंधान और विकास निधि बनाएगी और अन्य देशों को अपने साइबर व्यवस्था में सुधार करने के लिए सहयोग करेगी। साथ में, ये उपाय एक वैश्विक प्रौद्योगिकी वातावरण को आकार देने में मदद करेंगे जो खुले, मुक्त, नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को पूरा करते हैं।