वैज्ञानिकों ने हमारे शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले दिमागी हिस्सों की पहचान की है, लेकिन हाल के शोध में उन्होंने दिमाग के उस हिस्से की पहचान कर ली है जो दर्द के अहसास को खत्म कर देता है। यह क्षेत्र एक तरह का दर्दरोधी केंद्र या एंटी पेन सेंटर है। यह क्षेत्र अमिग्डाला है जिसे नकारात्मक भावों और सामान्य बेचैनी जैसी प्रतिक्रियाओं देने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शोध के वरिष्ठ लेखक और स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर फैन वांग ने कहा, “लोग विश्वास नहीं करते कि दिमाग में दर्द से राहत दिलाने वाली भी कोई जगह है। इसी लिए प्लेसबो जैसी दवाएं काम करती हैं। सवाल यही है कि दिमाग में वह कौन सा केंद्र है जो दर्द को बंद कर देता है।” वांग के मुताबिक इससे पहले जितने भी अध्ययन किए गए थे उनका ध्यान उन क्षेत्रों पर था जो दर्द को शुरू करते थे। लेकिन कई ऐसे क्षेत्र हैं जो दर्द को संसाधित करते हैं।
दर्द रोकने के लिए आपको उन सभी को बंद करना होगा।लेकिन यह केंद्र बंद करने से दर्द ही बंद हो जाता है। यह शोध वांग की लैब में गिए गए पिछले शोध को आगे बढ़ाने वाला अध्ययन है। उस शोध में उन न्यूरॉन्स की ढूंढने की कोशिश की गई थी जो आम एनेस्थीसिया से निष्क्रिय होने के बजाए सक्रिय होते हैं। साल 2019 में हुए अध्ययन में पाया गया था। आम एनेस्थीसिया दिमागे के सुप्राऑप्टिक न्यूक्लियस को सक्रिय कर धीमी नींद को प्रोत्साहित करती है। लेकिन नींद और दर्द अलग अलग चीजें हैं। इससे शोधकर्ताओं के इन जानकारी हासिल करने में मदद मिली। इस शोध के नतीजे नेचर न्यूरोसाइंस में प्राकशित हुए हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि एनेस्थीसाय अमिग्डाला के केंद्र में कुछ दमनकारी न्यूरॉन्स को सक्रिय करते हैं। शोधकर्ताओं ने इन्हें सीईएजीए न्यूरॉन्स कहा। वांग की टीम ने चूहों के दिमाग के सक्रिय न्यूरॉन्स का अध्ययन कर पाया कि सीईएजीए दिमाग के कई हिस्सों से जुड़ता है।
चूहों को हलका सा दर्द देने के बाद शोधकर्तों ने उनके दिमाग के उन हिस्सों का पता लगाया जो दर्द से सक्रिय हुए। उन्हें पता चला कि कम से कम 16 मस्तिष्क केंद्रों, जो दर्द के संवेदक और भावनात्मक पहलुओं को संसाधित करते हैं, को सीईएजीए से दमनकारी संकेत मिले।वांग ने कहा कि दर्द एक जटिल मस्तिष्क प्रतिक्रिया होती है। इसमें संवेदक अंतर, भावना और ऑटोनॉमिक प्रतिक्रियाएं शामिल होती हैं। इस सारी प्रतिक्रियाओं को रोककर दर्द का इलाज करना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसमें प्रमुख हिस्से को सक्रिय कर और दूसरे हिस्सों में भी स्वतः ही दमनकारी संकेत भेजता हो ज्यादा बेहतर होगा। शोधकर्ताओं ने ऑप्टोजेनेटिक्स नाम की तकनीका प्रयोग किया जिसमें दिमाग की कुछ कोशिकाओं को प्रकाशसे सक्रिय किया जाता है। चूहे असहज महसूस करने लगते हैं तो उनका खुद की रक्षा करने या देखरेख करने वाला बर्ताव शुरू हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सीईएजीए न्यूरॉन्स सक्रिय करने से वे इस बर्ताव को बंद कर सकते हैं। जब इस एंटी-पेन सेंटर को सक्रिय करने के लिए लाइट जलाई गई तो उनके हाथ चाटने या फिर मुंह रगड़ने जैसे बर्ताव पूरी तरह से बंद हो गए। जब शोधकर्ताओं ने सीईएजीए की सक्रियता कम की, तो उनका दर्द वाला बर्ताव लौट आया। बता दें कि वैज्ञानिकों के लिए इंसान का मस्तिष्क आज भी एक पहेली है। सालों के शोध के बावजूद हमारा दिमाग शोधकर्ताओं के लिए अनगिनत रहस्यों का भंडार है।