कैट ने सरकार से पूछा, क्‍या करंसी नेाट के जरिए फैलता है वायरस



लॉकडाउन और तमाम सावधानियों के बावजूद कोविड-19 की महामारी के बढ़ते संक्रमण को देखते व्‍यापारियों ने स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डा. हर्षवर्धन से पूछा है कि क्‍या करंसी नोट भी संक्रामक रोगों के वाहक हैं।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन को शुक्रवार को भेजे गए एक पत्र में कहा है कि अनेक रिपोर्ट के अनुसार करंसी नोट्स संक्रामक रोगों के वाहक हैं, जो बेहद चिंता का विषय है। क्या करेंसी नोटों के जरिये कोरोना वायरस फ़ैल सकता है।

कैट ने कहा की कंरसी नोट विभिन्न लोगों की एक अनजान श्रृखंला के माध्यम से लोगों तक पहुंचते है। ऐसे में क्या इनके जरिए भी कोरोना फ़ैल सकता है, जिस पर सरकार को एक प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री से कैट ने सवाल किया है कि यदि करंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक हैं तो इससे बचने के क्या निवारक और सुरक्षा उपाय हैं। ये जानकारी न सिर्फ व्यापारियों के लिए, बल्कि देश के आम लोगों के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होगी। इससे करंसी नोटों के जरिये कोरोनावायरस फैलाने की किसी भी संभावना पर रोक लगाई जा सकेगी।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि संक्रामक रोगों को फैलाने में सक्षम मुद्रा नोटों का मुद्दा कुछ वर्षों से बेहद चिंता की वजह बना हुआ है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की गई है। अज्ञात लोगों के बीच करंसी नोटों का लेन-देन होने के कारण विभिन्न वायरस और संक्रमणों के लिए करेंसी नोटों को बेहद घातक बताया गया है और इस तरह यह स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा दिखाई देता है।

कारोबारियों के शीर्ष संगठन कैट ने इस संबंध में डा. हर्षवर्धन का ध्यान 3 रिपोर्टों की और दिलाया है, जो करंसी नोटों को वायरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं। इस संदर्भ में कैट ने कहा कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था।

वहीं, वर्ष 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डाक्टरों, गृहिणियों, बाज़ारों, कसाई क्षेत्रों से एकत्र किए गए। इसमें से 86.4 फीसदी नोट संक्रमण से ग्रस्त थे। इसके अलावा वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट भी दूषित पाए गए थे। इसके मद्देनजर कैट ने केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री से स्‍थति स्‍पष्‍ट करने की मांग की है।    
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