भारतीय मजदूर संघ और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स से संबंध दिल्ली प्रदेश बैंक वर्कर्स ऑर्गेनाइजेशन के तत्वाधान में बैंक कर्मियों ने केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के फैसले के विरोध में बुधवार को राजधानी दिल्ली में एक विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया। इस विरोध-प्रदर्शन में कई बैंक कर्मियों ने हिस्सा लिया।
दिल्ली प्रदेश बैंक वर्कर्स ऑर्गेनाइजेशन के महासचिव अशवनी राणा ने बताया कि भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने के फैसले के विरोध में पूरे देश में आंदोलन का फैसला किया था। इसी के तहत बैंक कर्मियों ने भी इसमें भाग लिया। राणा ने कहा कि बैंक यूनियन सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध करता है। इसलिए यूनियन ने देशभर में भारतीय मजदूर संघ के आह्वान पर विरोध-प्रदर्शन किए हैं।
राणा ने कहा कि देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बड़ी भूमिका है। बैंकों के निजीकरण के बाद वह संभव नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और यस बैंक का उदाहरण हमारे सामने है। राणा ने कहा कि चाहे सरकार की कोई भी योजना हो सरकारी बैंकों ने जो भूमिका निभाई है वैसी निजी क्षेत्र से संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक जहां सोशल बैंकिंग कर रहे हैं। वहीं प्राइवेट बैंक एक वर्ग विशेष की सेवा में लगे हैं। इसलिए हमारा सरकार से आग्रह है कि वह सरकारी बैंकों को निजी हाथों में न सोंपे। यदि फिर भी सरकार निजीकरण की ओर बढ़ेगी तो बैंक यूनियंस मिलकर इसके विरोध में बड़ा आंदोलन करेंगे।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने आर्थिक पैकेज की घोषणा के वक्त पब्लिक सेक्टर में 3 से 4 यूनिट्स को छोड़कर बाकी इंटरपरआईजेस को निजी हाथों में सौंपने की बात की थी। उसके बाद नीति आयोग ने सरकारी क्षेत्र के तीन बैंकों, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, पंजाब एंड सिंध बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को निजी हाथों में सौंपने की सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इससे पहले 10 बैंकों का विलय कर चुकी है और अब बाकी बचे 6 बैंको को निजी क्षेत्र को देना चाहती है।