भारत-चीन ​वार्ता से पहले ​एलएसी पर ​बढ़ी ​हवाई हलचल



भारत-चीन सीमा विवाद पर ​शनिवार को ​होने वाली ​​​लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता से पहले ​​पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हवाई हलचल बढ़ गई है​​। चीन की वायुसेना सीमा के करीब ​युद्धाभ्यास के बहाने उड़ानें भर रही है​​।​ हालांकि उसके विमान सीमा पर 10 किमी. के नो फ्लाई जोन के दायरे में नहीं आए हैं लेकिन भारतीय वायुसेना ने ​भी ​वहां अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है। ​वार्ता से पहले भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस इलाके में ​​चीनी सैनिकों की हरकतों ​पर केंद्र सरकार को एक विस्तृत ​​रिपोर्ट सौंपी है।​​

​​लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर शनिवार को होने वाली बैठक में भारत की तरफ से इस बात पर जोर रहेगा कि पूर्वी लद्दाख में महीने भर से चल रही तनातनी को खत्म करने के लिए चीन की शर्तों पर कोई भी समझौता नहीं होगा। बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नजरें फिंगर 1 से 8 तक के पहाड़ी क्षेत्रोंं पर जमीं हैं। इसीलिए भारत फिंगर 4 तक ही गश्त कर पाता है क्योंकि इसी पहाड़ी पर चीनी सैनिकों ने कब्जा जमा रखा है। मई की शुरुआत से ही पीएलए ने फिंगर 4 से आगे का रास्ता भारतीय सैनिकों के लिए अवरुद्ध कर रखा है, इसीलिए भारत पीएलए को फिंगर 4 क्षेत्र से हटाना चाहता है।

वार्ता के दौरान दूसरी शर्त यह होगी कि भारतीय क्षेत्र में सड़क और पुल-निर्माण की गतिविधियों पर चीन अड़ंगा नहीं लगाएगा। यानी एलएसी पर भारत अपनी योजनाओं के अनुसार बुनियादी ढांचे का निर्माण जारी रखेगा। दरअसल 255-किलोमीटर लम्बी दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सड़क पर एक पुल और कुछ लिंक सड़कों का निर्माण ही चीनी सेना के साथ टकराव के मुद्दों में से एक है।​ ​वार्ता की तीसरी शर्तों में यह भी है कि ​गश्ती दल ​के ​आमने-सामने​ ​आने पर ​दोनों पक्षों को अपने सैनिकों को संयम बनाए रखने के लिए निर्देशित करना चाहिए और निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। ​साथ ही चीन को ​​भारतीय सेना​ के प्रति​ 'विश्वास की कमी को बहाल करना​'​ होगा।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ​​भारत और चीन की सेनाओं में जारी तनातनी के बीच सुरक्षा एजेंसियों ने इस इलाके में चीनी सैनिकों की हरकतों की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी है। इसमें इस बात का भी जिक्र है कि कैसे इतनी बड़ी तादाद में चीनी सैनिक लद्दाख पहुंचे और वहां निर्माण हुआ।​ भारत और चीन के बीच छह जून को प्रस्तावित लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसरों की बातचीत से ठीक पहले सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन किस तेजी से पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचा खड़ा कर रहा है।​ ​इसमें दौलत बेग ओल्डी, पैंगोंग झील में चीनी सेना की हरकतों और बड़ी तैनाती के बारे में भी जानकारी दी गई है।

लद्दाख के बाद ड्रैगन अब​ उत्तराखंड में ​पिथौरागढ़ जिले के​​​ लिपुपास में भी माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है। चीनी सैनिक पिछले कुछ दिनों से भारत की ओर झंडे लहराकर सीमा पर बने भारत के टिन शेडों को हटाने की चेतावनी दे रहे हैं। चीनी सैनिकों की ऐसी हरकतों को देखते हुए सुरक्षा बलों ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है।​ ​​पिथौरागढ़ जिले के लिपुपास में भारत और चीन की सीमाओं का विभाजन होता है। लिपुपास से ​ही ​कैलाश यात्रा और भारत​-​चीन ​के बीच ​व्यापार का संचालन होता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले यात्री और व्यापारी लिपुपास से ही चीन में प्रवेश करते हैं।​ ​इस बार कोरोना के कारण कैलाश यात्रा शुरू नहीं हो पाई​ है। इसके बावजूद ​चीनी सैनिकों ने ​भारतीय सीमा के लगभग 200 मीटर भीतर सैनिकों और यात्रियों के विश्राम के लिए बनाए गए हट्स को हटाने के लिए ​​चीनी भाषा में​ ​चेताव​​नी लिख​कर ​झंडे लहराए हैं। चीनी सैनिकों ​ने बैनर ​लगाकर इस स्थान को विवादित भी बताया है​​​​।
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