भारत में और भारतीय संस्कृति में ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जो कि हमें अंधविश्वास की ओर मोड़ देती है। आज भी यहां रहने वाले कई जाति व समुदाय ऐसी परम्पराओं को मानते है जो कि देखा जाए तो बिल्कुल भी उचित नहीं है। लेकिन इसकी आड़ में हम सभी चीज़ो को अनदेखा नहीं कर सकते, जैसे कि इस मंदिर को जहां वर्षों से लोग पानी के दीपक जलाते हैं।
सुनने में ये भले ही एक मज़ाक या बेतुकी सी बात लगती है मगर यह एक सच है जिसे आमतौर पर लोग चमत्कार का नाम दे देते हैं। कहने को तो यहां हर दिन कोई न कोई चमत्कार देखने को मिल ही जाता है लेकिन हम यहां जिस मंदिर की बात कर रहें है वो अपने-आप में ही एक अद्भुत बात है।
दरअसल, हम यहां बात कर रहें हैं मध्य प्रदेश के मालवा जिले के नलखेड़ा तहसील से कुछ 15 किलोमीटर दूर कालीसिंध नदी के किनारे बसे एक प्रचीन मंदिर की जिसे गड़ियाघाट वाली माताजी के मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मान्यता है कि यहां लोग घी या तेल की बजाए पानी के दीपक जलाए जाते हैं। हैरानी की बात तो ये हैं कि यहां सालों से माता जी के चरणो में तेल का ही दीपक जलाया जाता था। लेकिन मंदिर के पुजारी के मुताबिक एक दिन पुजारी के सपने में खुद मातजी आईं और उन्होंने पानी का दीपक जलाने को कहा।
फिर क्या था सुबह उठकर पुजरी ने बिल्कुल ऐसा ही किया, एक दीपक लिया औऱ उसमें पानी भरकर बाती रख दी। माता का नाम लेते हुए जैसे कि उन्होंने माचिस बाती के पास रखी तो दीपक से लो जल उठी।
मंदिर के पुजारी का कहना है कि जब उन्होंने लोगों को इस बारे में बताया तो किसी ने भी उनकी बात पर विश्वास नहीं किया लेकिन जब उन्होंने सभी के आंखों के सामने पानी से दीपक जलाया तो सभी भक्त दंग रह गए।
धीरे- धीरे बात पूरे गांव में फैली और फिर पूरे देश में, तभी से यहां जो कोई भी आता है पानी के जलते दीये को देखकर दंग रह जाता है। ये अपने आप में एक चमत्कार ही तो है वरना एक जलता दीपक पानी के पास आते ही बुझ जाता है, ऐसे में पानी से दीपक जलना तो मानो असंभव ही है।
लेकिन यहां ये असंभव कार्य रोज़ाना संभव होता है।