केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (सीबीडीटी) वित्त वर्ष 2019-20 का आयकर रिटर्न भरने के लिए फॉर्म को अधिसूचित कर दिया है। दरअसल आयकर विभाग ने कोविड-19 की महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कई चीजों के लिए समय-सीमा में की गई वृद्धि का लाभ असेसीज को देने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 के आयकर रिटर्न फॉर्म्स में संशोधन किए गए हैं। ऐेसे में रिटर्न दाखिल करते क्या सावधानी बरतनी चाहिए उसके बारे में फाइनेंशियल एक्सपर्ट से जानने की कोशिश करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में फाइनेंशियल एक्सपर्ट अमित रंजन ने सोमवार को कहा कि 'नए फॉर्म में अलग से एक टेबल दिया गया है, जिसमें वित्त वर्ष 2019-20 में टैक्स में छूट का लाभ पाने के लिए आप वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में बचत निवेश योजनाओं में किए गए निवेश की जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि करदाताओं को वित्त वर्ष 2019-20 में अपनी कर देनदारी का आकलन करना चाहिए और 80C के तहत ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने की कोशिश करनी चाहिए।'
गौरतलब है कि सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2019-20 का आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा बढ़ाकर 30 नवंबर, 2020 कर दिया था। वहीं, सरकार ने एक वित्त वर्ष में बिजली बिल के रूप में एक लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने वाले और चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि रखने वालों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपये से अधिक के खर्च की जानकारी देना भी अनिवार्य कर दिया है।
अमित रंजन ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए करदाताओं को कुछ सहूलियतें भी दी हुई हैं। इस कड़ी में आयकर अधिनियम की धारा 80सी (एलआईसी, पीपीएफ, एनएससी इत्यादि), 80डी (मेडीक्लेम) और 80जी (दान) के तहत आयकर में छूट प्राप्त करने के लिए निवेश एवं भुगतान की मियाद को बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दिया है। इसका मतलब है कि आपके पास टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश के लिए अब भी समय है।
आईटीआर के नए फॉर्म्स की कुछ डिटेल इस प्रकार है:-
आईटीआर-1 सहज:- ये फॉर्म उन नागरिकों के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है, उन्हें सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोत जैसे ब्याज से आय होती है। इसके साथ ही कृषि आय 5 हजार रुपये तक है (उन व्यक्तियों के लिए नहीं, जो या तो किसी कंपनी में निदेशक है या जिसने गैरसूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया हुआ है)।
आईटीआर-2:- ये फॉर्म उन व्यक्तियों और एचयूएफएस (HUFs) के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय नहीं होती है।
आईटीआर-3:- ये फॉर्म उन व्यक्तियों और एचयूएफएस (HUFs) के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय होती है।
आईटीआर-4 सुगम:- ये फॉर्म उन व्यक्तियों, एचयूएफएस (HUFs) और फर्म्स (LLP के अलावा) के लिए है, जिन्हें भारत के नागरिक के निवासी के तौर पर 50 लाख रुपये तक की कुल आय होती है और जिन्हें ऐसे बिजनेस तथा प्रोफेशन से आय होती है, जो सेक्शन 44एडी, 44एडीए या 44एई के तहत कंप्यूटेड हैं।
आईटीआर-5:- ये फॉर्म व्यक्ति, एचयूएफ (HUF), कंपनी, आईटीआर-7 फॉर्म भरने वाले लोगों से अलग व्यक्तियों के लिए है।
आईटीआर-6:- ये फॉर्म सेक्शन 11 के तहत एग्जंप्शन क्लेम करने वाली कंपनियों से अलग कंपनियों के लिए है।
आईटीआर-7:- ये फॉर्म कंपनियों समेत उन व्यक्तियों के लिए है, जिन्हें केवल 139(4ए) या 139(4बी) या 139(4सी) या 139(4डी) के तहत रिटर्न फर्निश करने की जरूरत है।