आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुना दिया है जिसे सुनते ही आरक्षण के सहारे जी रहे लोगों को तगड़ा झटका लग सकता है.दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की सरकारी नौकरी में आरक्षण की माग करना मौलिक अधिकार के तहत नहीं आता है और ना ही कोई कोर्ट राज्य सरकार को यह आदेश दे सकती है, की आरक्षण मुहैया कराया जाए.साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा की यह पूरी तरह से राज्य सरकार का अधिकार है की वह इस बात का फैसला करें की वह नौकरी में आरक्षण या फिर पदोन्नति में आरक्षण देना चाहती है नहीं.यानि की अब ये साफ हो चुका है की आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार पर किसी भी तरह की कोई बाध्यता नहीं है और ना ही ये अनिवार्य है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया की आर्टिकल 16 में एससी और एसटी को आरक्षण देने के लिए प्रावधान की बात कही गई है,लेकिन यह राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है.कोर्ट की तरफ से राज्य सरकार को इस बात के लिए कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता की वो किसी भी जाती या जनजाति को आरक्षण के नाम पर सरकारी पदों पर भर्ती के लिए कोई भी आरक्षण दें.लेकिन यदि राज्य की सरकार चाहती है,तो वह आरक्षण के लिए जरूरतमंद लोगों के आँकड़े इकट्ठा करें ताकि सभी को समान रूप से आरक्षण दिया जा सके.
अपने इस ऐतिहासिक फैसले में कोर्ट ने कहा की यह पूरी तरह से राज्य सरकार पर निर्भर है,की वह इस बात का फैसला ले की चयन या पदोन्नति में आरक्षण देने की आवश्यकता है या नहीं.लेकिन यदि राज्य सरकार नहीं चाहती आरक्षण देना तो आँकड़े जुटाने की कोई जरूरत नहीं है.हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उत्तराखंड सरकार द्वारा लोक निर्माण विभाग में सहायक इंजीनियर की भर्ती में एससी,एसटी को आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर मामलों की सुनवाई के दौरान दिया है.
दोस्तों वैसे तो देश में आरक्षण के नाम पर कई ऐसे लोगों को सरकारी पद या औंधा मिल जाता है जिसके वो लायक भी नहीं होते.वहीं पूर्ण रूप से शिक्षित और लायक व्यक्ति को उसका हक़ नहीं मिल पाता,यदि आप भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ है तो पोस्ट को लाइक कर सभी लोगों के साथ जरूर शेयर करें और हमें फॉलो करना ना भूलें.ध्यानपूर्वक पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.