वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रही दुनिया में इसका उपचार अभी भी नहीं मिला है। यह बीमारी मुख्य रूप से सांस से जुड़ी बीमारी है। धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों और रेस्पिरेटरी सिस्टम में पहले से ही दिक्कतें रहती हैं, इस वजह से धूम्रपान करने वालों में कोविड-19 संक्रमण के गंभीर होने का खतरा अन्य लोगों की तुलना में बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यह कहना है राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट ऐंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) के डायरेक्टर सर्जिकल ओनकोलॉजी डॉ। ए।के दीवान का।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी कहा है कि तंबाकू का इस्तेमाल कोविड-19 बीमारी के लक्षणों के गंभीर होने का खतरा बढ़ा देता है। धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में, धूम्रपान करने वाले मरीजों पर कोविड-19 के दुष्प्रभाव का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे लोगों को आईसीयू में भर्ती करने, वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसे लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
डॉ। एल। एम डारलोंग, हेड ऑफ थोरैसिक ओनकोसर्जरी, आरजीसीआईआरसी, के मुताबिक, तंबाकू भारत में कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। पुरुषों में होने वाले करीब 40 प्रतिशत और महिलाओं में होने वाले 20 प्रतिशत कैंसर का संबंध तंबाकू से है। इनमें फेफड़े का कैंसर, हेड ऐंड नेक कैंसर और मुंह के कैंसर का सीधा संबंध तंबाकू के इस्तेमाल से है। वहीं फेफड़े के कैंसर के 80 प्रतिशत मामले भी इसी के कारण होते हैं। डॉ। दीवान ने कहा कि यह भी देखने में आया है कि कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों में ऐसे लोग ज्यादा हैं, जिनका धूम्रपान से सीधा संबंध रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि धूम्रपान से दिल, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज या कैंसर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है और ऐसे मरीज कोविड-19 के गंभीर लक्ष्णों को सहन नहीं कर पाते। इसलिए इस स्वास्थ्य संकट के दौरान धूम्रपान छोड़ना बहुत जरूरी है।
डॉ। दीवान ने आगे कहा कि मुंह के कैंसर का अहम रिस्क फैक्टर होने के साथ ही चबाने वाले तंबाकू कोविड-19 के प्रसार में भी भूमिका निभाते हैं। तंबाकू चबाने से ज्यादा लार बनती है और लोग सार्वजनिक स्थानों पर थूकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भी लोगों को इस बारे में चेतावनी दी है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से कोविड-19 वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसी कारण से सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकना प्रतिबंधित किया है।
ग्लोबल एडल्ट टबैको सर्वे (जीएटीएस) इंडिया 2016-17 के मुताबिक करीब 26.7 करोड़ लोग या 15 साल या इससे ज्यादा उम्र के 29 प्रतिशत भारतीय किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे। इस कारण से दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा तंबाकू का सेवन होता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, तंबाकू हर साल 80 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेता है। इनमें से 70 लाख मौत सीधे तंबाकू के सेवन से होती है और करीब 12 लाख लोग ऐसे होते हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन सेकंड हैंड स्मोक का शिकार होते हैं। दुनिया के 1.3 अरब तंबाकू प्रयोग करने वालों में से 80 प्रतिशत लोग कम एवं मध्यम आय वाले देशों के हैं।