सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रवासी मजदूरों को 15 दिन में पहुंचाएं उनके घर



सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजूदरों के मामले पर शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के बाद 9 जून को फैसला सुनाने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया है। इनमें बसों के जरिये 41 लाख, ट्रेन के जरिये 57 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा गया। अभी तक 4270 श्रमिक ट्रेन चलाई जा चुकी हैं। मेहता ने कहा कि हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की ज़रूरत है और कितनी ट्रेन की ज़रूरत है। राज्यों से मिली जानकारी के आधार पर अभी 171 ट्रेन की और ज़रूरत है। कोर्ट ने मेहता से पूछा कि क्या महाराष्ट्र ने एक ही ट्रेन की मांग की है। मेहता ने कहा कि हां। अब तक 802 ट्रेन महाराष्ट्र से चला चुके हैं। तब कोर्ट ने कहा कि यानि हम ये मानें कि अब कोई और शख्स महाराष्ट्र से नहीं आना चाहता। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जी, राज्य सरकार ने हमें यही बताया है। राज्यों से मांग आने पर 24 घंटे के अंदर ट्रेन उपलब्ध करा रहे हैं। तब जस्टिस भूषण ने कहा कि हम केंद्र और सभी राज्यों को प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए 15 दिन का वक़्त दे रहे हैं। राज्यों को बताना होगा कि वो मजदूरों को रोजगार और बाकी राहत पहुंचाने के लिए क्या कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी है।

दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली से सिर्फ 10 हज़ार लोग अपने राज्य लौटने की इच्छा जता रहे हैं। यूपी सरकार ने कहा कि हम लोगों से किराया नहीं ले रहे हैं। अब तक 104 ट्रेनें चलाई गई हैं। 1 लाख 35 हजार लोगों को अलग-अलग साधन से वापस भेजा गया है। 1664 श्रमिक ट्रेनों से 21 लाख 69 हजार लोगों को वापस लाया गया है। दिल्ली सीमा से बस के जरिये साढ़े पांच लाख लोगों को वापस लाया गया है। बिहार सरकार ने कहा कि अब तक पूरे देश से हमारे यहां 28 लाख लोग आ चुके हैं। 10 लाख लोगों की स्किल मैपिंग की गई है। महाराष्ट्र सरकार ने बताया कि 11 लाख मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है। 38 हजार को भेजना बाकी है। गुजरात ने कहा कि 23 लाख में से साढ़े 20 लाख लोगों को वापस भेजा गया है।

राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का समय और मांगा। केरल सरकार के वकील ने कहा कि राज्य में 4 लाख 34 हज़ार प्रवासी मजदूर हैं। अब तक 1 लाख मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है। ढाई लाख मजदूर वापस जाना चाहते हैं। 1 लाख 61 हजार मजदूर केरल में नहीं रहना चाहते हैं। कर्नाटक सरकार के वकील ने विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय मांगा। कर्नाटक सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने तीन लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा है। लाखों मजदूर अभी धीराज में मौजूद हैं। 10 से 15 दिन में सभी प्रवासी मजदूरों को वापस भेज दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य गांव और प्रखंड के स्तर पर अपने यहां वापस लौटे मज़दूरों का रजिस्ट्रेशन करें। उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करें। उनकी परेशानी दूर करने के लिए काउंसिलिंग करें। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि रजिस्ट्रेशन सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। आधे से ज़्यादा मजदूर वापस जाने के लिए अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं। बेहतर होगा कि पुलिस स्टेशन या किसी दूसरी जगह जाकर मजदूरों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
Previous Post Next Post

.