देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इसके चलते दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाने लगा है। माना जा रहा है कि सरकार खोखले दावे करती रही और कोरोना का संक्रमण बढ़ता गया। इसके साथ ही दिल्ली सरकार कोरोना से मरने वालों की संख्या को भी छिपाने का प्रयास कर रही है। दिल्ली के शमशान घाटों, कब्रगाहों और दिल्ली नगर निगम के आंकड़े कुछ और बता रहे हैं और राज्य सरकार उसे झुठलाने में लगी है।
दिल्ली के तीनों नगर निगमों के आंकड़ों को अगर जोड़ा जाए तो पता चलता है कि दिल्ली के शमशान घाटों और कब्रगाहों में अब तक कुल मिलाकर 1191 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 684, उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 476 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में मात्र 31 संस्कार किए गए। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार और उसके अस्पताल के हवाले से अब तक मात्र 650 लोगों की मौत का आंकड़ा पेश किया जा रहा है। कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दिल्ली गेट स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के शवगृह में केवल 80 शवों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था है मगर वहां पर इस बीच हमेशा सौ से अधिक शवों के रखने की बात सामने आ रही है।
सच्चाई यह है कि कोरोना के प्रारंभिक लक्षण पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती रोगी की यदि मौत हो जाती है तो मृतक का स्वाव (गले से व नाक से सैंपल) लेकर उसे जांच के लिए भेजा जाता है, ताकि उसकी मृत्यु कोरोना से होने की पुष्टि की जा सके। यह रिपोर्ट आने में कई बार कई-कई दिन लग जाते हैं। इतने समय तक कोई भी अपने प्रियजन का शव अस्पताल के शवगृह (मोर्चरी) में नहीं रखना चाहता। इसलिए वह अस्पताल के प्रमुख की अनुमति लेकर शव का अंतिम संस्कार कोरोना संदिग्ध के रूप में ही करता है। दिल्ली के नगर निगमों ने ऐसे शवों के संस्कार के लिए अलग से प्लेटफार्म और कब्रगाहों का निर्धारण किया है। इससे मृतकों की संख्या पता चल जाती है। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार रिपोर्ट आने का इंतजार करने में आंकड़ों से खेलती रहती है। कोरोना से मरने वालों की संख्या को छुपाने का मामला दिल्ली के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी उठाया जा रहा है। इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में भी उठाया जा चुका है।
दिल्ली में कोरोना (कोविड-19) से मरने वाले मुस्लिमों को दफनाने के लिए आईटीओ कब्रिस्तान और पूर्वी दिल्ली स्थित बुलंद मस्जिद (शास्त्री पार्क) कब्रिस्तान को चिन्हित किया गया है। इन दोनों कब्रिस्तान में ही अब तक कोरोना वायरस से मरने वाले दो सौ से ज्यादा मुस्लिमों के शवों को दफनाया जा चुका है। आईटीओ कब्रिस्तान में आज तक 173 मुर्दों को दफन किया जा चुका है जबकि शास्त्री पार्क स्थित कब्रिस्तान में 25 शवों को दफन किया गया है। कब्रिस्तान अहले इस्लाम के लीगल एडवाइजर एडवोकेट मसरूर हुसैन सिद्दीकी ने स्वीकार किया है कि कब्रिस्तान में आज तक कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत 173 शवों को दफन किया जा चुका है। इस मामले पर नजर रख रहे सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद गंगोही का कहना है कि दिल्ली सरकार कोविड-19 से होने वाली मौतों के आंकड़े छुपाने की कोशिश कर रही है।