
कहते है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। और समय-समय पर जैसे-जैसे इंसान की मुलभूत आवश्यकताएं बढ़ती गई वैसे-वैसे वैज्ञानिको के द्वारा कई ऐसे आविष्कार हुए जिनका उपयोग इंसानों के लिए काफी फायदेमंद रहा। दुनिया में कई ऐसे वैज्ञानिक हुए है जिन्होने अपने आविष्कार के दम पर इस दुनिया को नई रोशनी दी है, एक ऐसा सहारा दिया है जिससे ये दुनिया प्रगति के पथ की ओर तेजी से अग्रसर हो पाई है।
लेकिन क्या आपको पता है, जो वैज्ञानिक अपने एक आविष्कार को पुरा करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है उसे अपने आविष्कार को पुरा करने के लिए कितनी कठिनाईयों से गुजरना पडता है ? कई बार आविष्कार के साथ-साथ ही इन लोगों को अपनी जान भी गंवानी पडती हैं। ऐसी ही आज हम आपको कुछ ऐसे वैज्ञानिको के बारें में बताने जा रहे हैं, जिनकी आविष्कार के जन्म के साथ ही मौत हो गई.
मैडम क्यूरी – रेडियम

विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी को दुनिया में मैडम क्यूरी के नाम से भी जानती है। उन्हें भौतिक और रसायन विज्ञान में अपने अमूल्य योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मैडम क्यूरी ने रेडियम की खोज की थी जो चिकित्सा विज्ञान और रोगों के उपचार में एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी खोज साबित हुई। लेकिन रेडियम की खोज के कारण और लम्बें समय रेडियो सक्रीय पदार्थों के बीच कार्य करते-करतें और उनके शरीर में खून की कमी आ गई जिसका प्रभाव जल्द ही उनके शरीर पर दिखने लगा और 4 जुलाई 1934 को एप्लास्टिक अनीमिया के कारण का उनका निधन हो गया।
विलियम बुलोक – वेब रोटरी प्रिंटिंग प्रेस

विलियम बुलोक एक अमेरिकी अनुसंधानकर्ता थे। उन्होंने 1863 में एक वेब रोटरी प्रिंटिंग प्रेस का अविष्कार किया था। बुलोक के इस अविष्कार ने प्रिटिंग इंडस्ट्री में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया। एक बार जब वह अपनी इस नई प्रिटिंग मशीन को चला रहे थे तो उसी दौरान उन्होंने इसकी ड्राइविंग बेल्ट को किक मार मार दी। पुल्ली में पैर लगा और वह मशीन में बुरी तरह फंस गए। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। ऑपरेशन के दौरान पेनसेल्वानिया में 12 अप्रैल 1867 को मौत हो गई।
ओटो लिलिएंथाल – ग्लाइडिंग की अवधारणा

ये एक ऐसा यंत्र था जिसके माध्यम से इंसान आसानी से किसी भी उंचाई से उड़ सकता था। और इसकी खोज की थी ओटो लिलिएंथाल ने। जिसे विज्ञान में ग्लाइडिंग की अवधारणा के नाम से जाना गया। 9 अगस्त 1986 में लिलिएंथाल ने पक्षियों की भांति उड़ने का प्रायोग किया, और वे इसमे सफल भी रहे। लेकिन कुछ समय पश्चात ही उन्होने उड़ते-उड़ते अपना संतुलन खो दिया और वे एक चट्टान से टकरा गए जहां से करीब 17 मीटर की उंचाई से नीचे गिरें और उनकी तत्काल ही मौत हो गई।
एलेक्ज़ेंडर बोगडनवो – रक्त हस्तांतरण थैरेपी

कहते है कि कभी-कभी दुसरो की भलाई के लिया गया कदम खुद के लिए घातक साबित हो जाता है, और यही हुआ एलेक्ज़ेंडर बोगडनवो के साथ। वे एक एक प्रसिद्ध चिकित्सक, दार्शनिक तथा अर्थशास्त्री थे। उन्होने रक्त हस्तांतरण थैरेपी निजात की जिससे लोगो को स्वास्थ्य में कई लाभदायक फायदे हुए। और एक दिन उन्होने अपनी लम्बी आयु के लिए प्रयोग करने की सोच कर एक मरीज से अपने शरीर में रक्त हस्तांतरण थैरेपी से रक्त अपने शरीर में हस्तांतरित किया। लेकिन दुर्भाग्यवश उन्होने जिस व्यक्ति का खून लिया उसे मलेरिया और टीबी रोग था, रक्त को लेने के साथ ही एलेक्ज़ेंडर के शरीर में संक्रमण फैल गया और उनकी मौत हो गई।
हेनरी स्मोलिंस्की – फ्लाईंग कार

वैसे तो आज दुनिया के लिए हवा में उड़ने का सपना पुरा हो चुका है लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में सबसे पहले उड़ने वाली कार का सपना किसने देखा था ? जी हां, पेशे से इंजीनियर हेनरी स्मोलिंस्की ने हवा में उड़ने वाली कार का निर्माण 1973 में किया था और उन्होने अपनी स्वयं की कम्पनी में इसका निर्माण किया जिसका नाम एवीई कार रखा गया। उन्होने अपनी कार में हवाई जहाज का डिज़ाइन जोड़ा और वे इसमें कामयाब भी रहें और एक दिन इसी कार की टेस्ट के लिए वे जैसे ही इसे लेकर उड़ें उसी दौरान यह फ्लाईंग कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और जिसमें उनकी मौत हो गई।
हेनरी – प्रकाश स्तंभ

प्रकाश स्तंभ आज भी वैज्ञानिको के लिए एक खास खोज मानी जाती है और इसका श्रेय मिस्टर हेनरी को जाता है, जिन्होने इसकी खोज की थी। हेनरी पहले एड्डीस्टोन प्रकाश स्तंभ के निर्माता थे। एक बार जब वे इस प्रकाश स्तंभ की क्षमता की जांच कर रहें थे और इसकी दूरी नापने में व्यस्त थे तभी वहां एक जोरदार तुफान आया और दुर्भाग्यवश वह प्रकाश स्तंभ टिक न सका और वह नीचे गिर गया, जिसमें दब कर पांच लोगों की मौत हो गई, उसमें हेनरी भी शामिल थेण्
फ्रांज रिचेल्ट – विंगसूट

पैराशूट तो आप सभी जानते ही होंगे कि ये आज भी कितना आवश्यक और जीवन बचाने वाला यंत्र है। और सभी एयरफोर्स के सैनिक इसका उपयोग करते है। लेकिन इसका आविष्कार करने वालें की जान भी इसी की वजह से चली गई थी। जी हां, ऑस्ट्रिया में जन्में फ्रांज रिचेल्ट ने विंगसूट यानि पैराशूट का निर्माण किया था और उन्होने इसके टेस्ट के लिए 4 फरवरी 1912 को एफिल टॉवर से छलांग लगाई, लेकिन दुर्भाग्यवश पैराशूट काम न कर सका और उनकी जान चली गई।
थॉमस मिडग्ले – स्ट्रिंग और पुली की प्रणाली

स्ट्रिंग और पुली एक ऐसा यंत्र था जिसकी सहायता से हाॅस्पिटल में मरीज के बेड को उपर उठाने का कार्य किया जाता है। इसका आविष्कार थॉमस मिडग्ले ने किया था जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे। लेकिन उनका ही आविष्कार उनकी जान का दुश्मन बन गया। हुआ यू कि प्रयोग के दौरान स्ट्रिंग से पुली निकलकर उनके सिर पर आ लगी जिससे उनके सिर में गहरी चोट लगी और कुछ समय कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
सिएर फ्रेमिनेट – रीब्रीदिंग डिवाइस

1772 में फ्रांसीसी सिएर फ्रेमिनेट ने स्कूबा डाइवर्स के लिए रीब्रीदिंग डिवाइस का अविष्कार करने की कोशिश में जान चली गई थी। यह डिवाइस बैरल से निकली हवा को रीसाइकिल करती है। दुर्भाग्य से इसके प्रयोग के दौरान ऑक्सीजन की कमी होने पर फ्रेमिनेट की मौत हो गई। यह डिवाइस डाइवर्स को पानी के अंदर 20 मिनट तक रखना खतरनाक साबित हुई।
मैक्स वेलियर – लिक्विड से संचालित रॉकेट कार

लिक्विड से संचालित रॉकेट कार का आविष्कार मैक्स वेलियर ने किया था। 1929 में वेलियर ने फ्रित्ज वोन ओपेल के साथ रॉकेट पावर्ड कारों और एयरक्राफ्ट पर काम किया था। इसके बाद वेलियर लिक्विड से भरे रॉकेट्स पर काम कर रहे थे। उन्होंने ने 19 अप्रैल 1930 को राकेट कार की टेस्ट ड्राइव की थी। यह कार लिक्विड से संचालित थी। अचानक ही एल्कोहल से भरा रॉकेट टेस्ट बेंच में फट गया और उनकी कार सहित ही मौत हो गई।