कैलाश मानसरोवर मार्ग को 17,060 फीट की ऊंचाई पर लिपुलेख दर्रे से जोड़े जाने पर नेपाल की आपत्ति के बारे में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने शुक्रवार को कहा कि इसके पीछे 'किसी और का हाथ' है। हालांकि उन्होंने खुद तो स्पष्ट कुछ नहीं किया लेकिन उनके इशारे को चीन की भूमिका से जोड़कर देखा जा रहा है।
नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की ओर से शुक्रवार को आयोजित एक ऑनलाइन सम्मेलन ने नरवणे ने कहा कि काली नदी के पूर्व में नेपाली क्षेत्र है जबकि भारत ने नदी के पश्चिम में सड़क बनाई है। उन्होंने कहा कि नेपाल के इस आंदोलन के पीछे का उद्देश्य अभी तक मैं नहीं समझ पाया। मुझे नहीं पता कि वे वास्तव में किस बारे में आंदोलन कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि लगता है कि 'किसी और के' इशारे पर यह समस्या उठाई गई है।
सेना प्रमुख ने उत्तर सिक्किम और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले सप्ताह फिर से आमने-सामने होने की घटना पर दोहराया कि इन घटनाओं का किसी भी घरेलू या अंतरराष्ट्रीय स्थिति से कोई संबंध नहीं है। इस तरह की घटनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा को बहुत अच्छी तरह से परिभाषित न किए जाने की वजह से अतीत में भी होती रही हैं और अब फिर से हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दो अनौपचारिक भारत-चीन शिखर सम्मेलन के बाद दिए गए प्रोटोकॉल और रणनीतिक दिशा-निर्देशों के अनुसार सब कुछ परस्पर ढंग से हल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में भारतीय और चीनी सैनिक 10 अलग-अलग स्थानों पर प्रतिदिन बिल्कुल सामान्य रूप से मिलते हैं। दोनों देशों के सैनिकों में भिड़ंत केवल एक या दो स्थानों पर समय-समय पर होती रहती हैं। यह तब भी होता है जब बार्डर पर कमांडरों की तैनाती में बदलाव किया जाता है।
दरअसल उत्तराखंड में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कैलाश मानसरोवर मार्ग को 17,060 फीट की ऊंचाई पर लिपुलेख दर्रे से जोड़ा है। दार्चुला-लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबगढ़ सड़क का विस्तार है। यह घाटीबगढ़ से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है। 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6000 फीट से बढ़कर 17,060 फीट हो जाती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड का उद्घाटन किया था।
सीमा सड़क संगठन ने कैलाश मानसरोवर मार्ग को चीन की सीमा से जोड़ दिया है। चीन सीमा के निकट शेष तीन किमी. की कटिंग का काम सुरक्षा की दृष्टि से अभी छोड़ दिया गया है। नेपाल ने उसी दिन इस सड़क के निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताकर काठमांडू में भारतीय राजदूत को एक राजनयिक नोट भी सौंपा था। इसके बाद नेपाल ने 9 मई को नेपाल ने भारत को 'नेपाल के क्षेत्र के अंदर किसी भी गतिविधि को करने से मना करने' से सम्बंधित एक बयान भी जारी किया था।