इस मंदिर में बहती है घी की नदियाँ, जानिए कहां से बहता है इतना शुद्ध देसी घी

कहा जाता है कि भारत की भूमि विद्वानों की भूमि है, जिसके पीछे भारत का गौरवशाली इतिहास गवाह रहा है. चिकित्सा से ले कर विज्ञान के क्षेत्र में आगे होने के बावजूद यह देश कई मायनों में बाकी देशों से हटकर है जिसमें आस्था भी एक अहम भूमिका निभाती है, जो इस देश को इतनी विविधता होने के बावजूद एक धागे में बांधे रखता|  भारत देश में बहुत से प्राचीन मंदिर हैं इसीलिए इसे मंदिरों का गढ़ भी कहा जाता है इन्ही मंदिरों में से कई ऐसे अदभुत मंदिर है जिनके बारे में ऐसे कई सारे रहस्य हैं जिन्हें आजतक कोई नहीं जान पाया। इतना ही नहीं इन मंदिरों की प्रसिद्ध मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से इसकी भव्यता देखने और दर्शनों के लिए आते हैं।
किसी भी मंदिर में जब बिह पूजा पाठ के लिए जाते है तब वहाँ पर तो वहाँ पे मंदिरों में  को आपने  कई लोगो को दान पुण्य  करते तो  देखा ही होगा| सभी लोग अपने हैसियत के अनुसार मंदिर में दान पुण्य देते हैं क्योंकि ऐसे मान्यता है की कोई भी पूजा बिना दान पुण्य के सफल नहीं होती है इसीलिए इस मान्यता के अनुसार लोग भगवन के मंदीर में कई प्रकार के चढ़ावा भी चढाते है जैसे कोई सोना-चांदी देता है तो कोई इंसान करोड़ों रुपये का दान देता है, आपने कई खबरें ऐसी सुनी होगी जिसमें को अमीर भक्त किसी मंदिर में बहुत कीमती सामान, सोना-चांदी या करोड़ों रुपए दान में दे देता है,लेकिन एक मंदिर ऐसा है जहां पर भक्त और भगवान पर घी की नदियां बहती है आज हम आपको यहां इसी अदभुत मनदिर के बारे में बताएँगे जहाँ पर भगवान के सामने जल नहीं बल्कि घी की नदिया बहती हैं|
दरअसल हम बात कर रहे हैं गुजरात के ही ऐसे मंदिर के बारे में जो कि गांधीनगर के रूपल गांव स्थित है जो की  वरदायिनी देवी मंदिर नाम से प्रसिद्ध है |इस मंदिर की खास बात जानकर आप हैरान रह जायेंगे कि इस मंदिर में घी की नदियां बहती है |कहा जाता है कि जिस भी किसी की मान्यता पूरी होती है वो भक्त पूरे मंदिर को घी से धोते हैं जिसे देखकर ऐसा लगता है जैसे पूरे मंदिर में घी की नदी बह रही हो खासकर नवरात्रि की नवमी को यहां लकड़ी से बनी एक रथ को पूरे गांव में घुमाया जाता है। इस रथ पर बने सांचे में पांच स्थानों पर अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस रथ को देखने के लिए इतनी भीड़ होती है कि गांव से मुख्य मंदिर तक पहुंचने में रथ को करीब 10 घंटे लग जाते हैं।

इस रथ पर माता के दर्शन करने वाले श्रद्धालु अपने सामर्थ्य के अनुसार शुद्ध देसी घी चढ़ावा के रूप में चढाते हैं। रथ पर घी चढ़ाने का एक और कारण यह है कि इस रथ को जमीन से छूने न दिया जाए जिसे अशुद्ध माना जाता है जिस वजह से इस रथ के नीचे का हिस्सा जमीन से पूरा घी में डूबा रहता है मानों जैसे घी की बाढ़ आ गई हो इस रथ पर सन 2014 में भक्तों ने करीब 5.5  लाख किलो घी चढ़ावे के रूप में चढ़ाया गया था और  चढ़ाए गए घी की कीमत करीब 16 करोड़ रूपए आंकी गई थी।

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