सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी मरकज मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार पर ढिलाई का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका वकील सुप्रिया पंडिता ने दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि निजामुद्दीन के मरकज से कोरोना फैलने और आनंद विहार बस स्टैंड पर हजारों मजदूरों की भीड़ जुटने की सीबीआई जांच की जाए। याचिका में कहा गया है कि निजामुद्दीन मरकज के प्रमुख मौलाना साद की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। याचिका में केंद्र सरकार के 16 मार्च के उस एडवाइजरी का उल्लेख किया गया है जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके अपनाने की बात कही गई है। इस एडवाइजरी में धार्मिक नेताओं को भीड़ एकत्र नहीं करने की सलाह दी गई थी। 23 मार्च को भी प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी।
याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के बावजूद 28 मार्च को दिल्ली में काम करनेवाले बिहार और यूपी के प्रवासी मजदूर हजारों की संख्या में आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंच गए, ताकि वे अपने घर जा सकें। लेकिन दिल्ली सरकार, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में कहा गया है कि 29 मार्च को भी यही वाकया दुहराया गया लेकिन दिल्ली सरकार, दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में दिल्ली बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के उस बयान को आधार बनाया गया जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूरों से कहा कि डीटीसी की बसें आनंद विहार बस अड्डे तक छोड़ देंगी।
याचिका में 15 से 17 मार्च तक निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन की चर्चा की गई है। इस आयोजन में दो हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में शामिल कई लोग कोरोना पॉजीटिव पाए गए। उनके संपर्क में आनेवाले हजारों लोगों को संक्रमण हुआ। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने इतने लोगों को आयोजन में शामिल होने की अनुमति कैसे दी।