मेरे घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं और 12 बजे चुके हैं, लेकिन खाना नहीं आया। घर पर एक दाना भी नहीं है। बच्चों ने जीना मुहाल कर रखा है। सुबह से हम लोग खाने का इंतजार कर रहे हैं और 12 बजे तक यदि आप लोग खाना नहीं भेजेंगे, तो हम कैसे जियेंगे। यह बात गांव अभयपुर की एक महिला ने कोरोना हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके कही। हेल्पलाइन नंबर से सूचना के बाद जिला बाल कल्याण परिषद अधिकारी भगत सिंह, पुलिस और अन्य कर्मचारी मौके पर पहुंचे। इसके बाद महिला से संपर्क किया, तो यह महिला 15-16 महिलाओं को लेकर गली में आई और बाल कल्याण अधिकारी से झगड़ा करने लगी।
महिला ने कहा कि भगत सिंह ने महिला को कहा कि चलिए आपके घर देखते हैं, कुछ खाना पड़ा है या नहीं। जब पुलिस और भगत सिंह महिला के घर पहुंचे, तो उसके घर पर 25 किलो आटा, 20 किलो चावल, 10 किलो आलू, पांच किलो प्याज, हल्दी, मिर्च, नमक, तेल सहित अन्य सामान बड़ी मात्रा में पड़ा था। भगत सिंह ने बताया कि रोजाना कोई ना कोई फेक कॉल कर समय बर्बादी कर रहा है। इसी तरह ग्राम अभयपुर के ही एक व्यक्ति ने हेल्पलाइन नंबर पर फोन किया कि उसके पास कुछ नहीं है और उसे पैसा चाहिए।
भगत सिंह ने इस व्यक्ति से पूछा कि तुम्हें किस चीज की कमी है, तो वह कहने लगा बस मुझे पैसे चाहिए। अधिकारी ने कहा कि तुम्हें खाना, दवाई दी जाएगी, लेकिन वह पैसे देने की मांग पर अड़ा रहा और 10 हजार रुपये सरकार से देने को कह रहा था। अधिकारी का कहना है कि गांव अभयपुर में रोजाना एक हजार से ज्यादा खाना पहुंच रहा है। सेक्टर-19, अभयपुर में कुछ लोगों के पास राशन किट भी पहुंच चुकी है। वार्ड के पूर्व पार्षद सुभाष निषाद ने कहा कि प्रशासन के सहयोग से सभी के पास खाना पहुंच रहा है।