मानो तो रिश्ते खून से ज्यादा गहरे हो जाते हैं न मानों तो अपनों की नजर भी समय पर गैर ही होती है। ऐसा ही कुछ लॉकडाउन के दौरान गोरखपुर के एक परिवार के साथ हुआ। मूलत:गोरखपुर निवासी अमरनाथ श्रीवास्तव सिविल लाइंस साउथ में किराए के मकान में अपनी पत्नी बीना के साथ रहते हैं। उनके दोनों बेटे मध्यप्रदेश के गुना और गुजरात में इंजीनियर हैं।
एलएच शुगर फैक्ट्री के गन्ना विभाग में कार्यरत अमरनाथ की पत्नी बीना को सिर में गंभीर चोट लग गई और उनकी नाक से अधिक खून बह गया। खून की कमी होने के बाद बीना का स्वास्थ्य गड़बड़ा गया। मां की चिंता में इंदौर में बैठे बेटे पंकज ने एक ट्वीट कर दिया। इस पर मप्र से चला ट्वीट बनारस के साधना फाउंडेशन के सौरभ कुमार से होता हुआ पीलीभीत में हिन्दुस्तान तक पहुंच गया। बिना समय गंवाए हिन्दुस्तान की टीम ने न केवल अमरनाथ से संपर्क कर उनकी पत्नी का हालचाल लिया। बल्कि दो यूनिट की व्यवस्था की।
एलएच शुगर फैक्ट्री के गन्ना विभाग में कार्यरत अमरनाथ की पत्नी बीना को सिर में गंभीर चोट लग गई और उनकी नाक से अधिक खून बह गया। खून की कमी होने के बाद बीना का स्वास्थ्य गड़बड़ा गया। मां की चिंता में इंदौर में बैठे बेटे पंकज ने एक ट्वीट कर दिया। इस पर मप्र से चला ट्वीट बनारस के साधना फाउंडेशन के सौरभ कुमार से होता हुआ पीलीभीत में हिन्दुस्तान तक पहुंच गया। बिना समय गंवाए हिन्दुस्तान की टीम ने न केवल अमरनाथ से संपर्क कर उनकी पत्नी का हालचाल लिया। बल्कि दो यूनिट की व्यवस्था की।
युवा व्यापारी नेता अभिषेक सिंह गोल्डी और एक आरएसएस के डोनर कार्ड पर हिन्दुस्तान ने जरूरतमंद महिला के जीवन की डोर को थाम लिया। अभिषेक ने तो रक्तदान कर गोरखपुर के परिवार से न टूटने वाला खून का रिश्ता सदा के लिए बना लिया। हिन्दुस्तान की इस पहल पर अमरनाथ और उनके बेटे पंकज ने बकायदा संदेश भेज कर धन्यवाद कहा और सदा ही सरोकारो से जड़ा रहने का अखबारी जज्बा बनाए रखने की अपील अखबार से की। महिला के पति अमरनाथ ने बताया कि मैंने सभी रिश्तेदार, मित्रों से संपर्क किया पर कोई कामयाबी नहीं मिली। पर हिन्दुस्तान मेरा सहारा बना।