पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में बसे सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में पौराणिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों के साथ शुरू हो गयी है।
भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह से सभा मंडप लाया गया और प्रशासन स्तर से नियुक्त महिलाओं ने भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया। इस दौरान लाॅक डाउन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। आज भगवान मदमहेश्वर सभा मंडप में विराजमान होंगे और शनिवार को भगवान मदमहेश्वर की डोली ऊखीमठ से अपने धाम के लिए रवाना होगी। हो सकता है इस वर्ष लाॅक डाउन के कारण भगवान मदमहेश्वर की डोली को मंगोलचारी से रांसी तक वाहन से ले जाया जा सकता है। गुरुवार को ओंकारेश्वर मन्दिर के प्रधान पुजारी बागेश्वर लिंग व मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान ओंकारेश्वर सहित पंचनामा देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर जलाभिषेक किया और भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियों को परम्परानुसार सभा मंडप लाया गया तथा बाह्मणाें, वेद पाठियों द्वारा पुनः भगवान मदमहेश्वर की मूर्तियों की विशेष पूजा की गयी तथा डंगवाडी, बाह्मणखोली व पजपाणी की दो-दो महिलाओं द्वारा भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित किया गया।
इस मौके पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भगवान मदमहेश्वर की मूर्तियों के दर्शन किये। आज भगवान मदमहेश्वर की मूर्तियां सभा मडण्प में ही विराजमान रहेंगी और शनिवार को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में विराजमान कर डोली का विशेष श्रृंगार किया जायेगा तथा डोली अपने धाम को रवाना होगी। सूत्रों की मानें तो भगवान मदमहेश्वर की डोली मंगोलचारी तक परम्परा के अनुसार पैदल पथ से जायेगी और वहां से वाहन से राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी। डोली रवानगी पर लाॅक डाउन के नियमों का सख्ती से पालन किया जायेगा। इस मौके पर बीडी सिंह, राजकुमार नौटियाल, यदुवीर पुष्वाण, मदन सिंह पंवार, विश्व मोहन जमलोकी मौजूद थे।