हमारा देश परंपराओं व संस्कृतियों के लिए ही जाना जाता है यहां की परंपरा ऐसी है कि उसे मानने से कोई इंकार नहीं करता क्योंकि उसी से एक भारतीय होने की पहचान होती है। आज हम इन्हीं परंपराओं में से एक खास परंपरा के बारे में बात करने जा रहे हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं कि एक शादीशुदा महिला के सुहाग की कई सारी निशानियां होती है जिनमें से सबसे खास होता है मंगलसूत्र।
कोई भी विवाहित स्त्री भले ही अौर कोई आभूषण पहनी हो या न लेकिन वो मंगलसूत्र जरूर पहनी होती है। वहीं हम सभी ये भी जानते हैं कि महिलाओं को आभूषण से ज्यादा प्रेम होता है। मंगलसूत्र धारण करने का एक पर्याय ये भी होता है कि यह आपसी प्रेम, जीवनभर एक-दूसरे के संग चलने और साथ निभाने का प्रतीक होता है।
वहीं अगर शास्त्रों की बात करें तो मंगलसूत्र का संबंध पति-पत्नी के प्रगाढ़ संबंधों और पति की लंबी आयु से जुड़ा होता है। कहा जाता है कि महिलाओं के इसे धारण करने से महिला का अपने पति के साथ प्रेम बना रहता है इसलिए हिंदुधर्म में अक्सर शादी के बाद लड़कियों को मंगलसूत्र पहनाया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि मंगलसूत्र धारण करने के जहां धार्मिक लाभ मिलते हैं, वहीं शरीर को भी लाभ पहुंचता है। मंगलसूत्र को सुहाग की निशानी माना जाता है इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक अपने गले में धारण करती हैं। ज्योतिष की बात करें तो मंगलसूत्र में मौजूद सोने पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है।
कहा जाता है कि इनके होने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का भाव बना रहता है। ये धर्म का कारक भी है। क्योंकि काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है और साथ ही शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है। शास्त्रों में इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है।