दुनिया के सब से धनी और माइक्रोसाफट के संस्थापक बिल गेट्स ने कहा है कि वह कारोबार खोलने में जल्दबाज़ी के हिमायती नहीं हैं। उनका यह भी कथन है कि स्कूलों को खोलने में भी जल्दबाज़ी उचित नहीं है। उन्होंने दुनिया भर के नेताओं का आह्वान किया है कि वे नए संक्रामक से निपटने के लिए एक जुट हों और अपने-अपने देशों की सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत करें। उन्होंने कहा कि वह पिछले पाँच सालों से लगातार यह कहते आ रहे हैं कि अब उनका मुक़ाबला हथियारों से युद्ध से नहीं, महामारी से होगा । इसके लिए वैक्सीन की तैयारी होनी चाहिए। बिल गेट्स ख़ुद भी कोरोना महामारी के लिए वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं और अरबों रूपए ख़र्च कर रहे हैं।
वाल स्ट्रीट जर्नल से एक सीधी वार्ता में 64 वर्षीय बिल गेट्स ने कहा कि असल में उन्हें महामारी से बचाव के लिए बार -बार लोगों को आगाह किए जाने की ज़रूरत थी। उनका कहना था कि निश्चित तौर पर कोरोना क़हर भयावह है। बिल गेट्स ख़ुद कोरोना वैक्सीन के लिए अरबों रूपए निवेश कर चुके हैं। इस भयानक संक्रामक बीमारी से दो लाख 83 हज़ार से अधिक लाओग जानें गँवा चुके हैं और विश्व अर्थ व्यवस्था चोराहे पर आ खड़ी हुई है। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन ने विगत में इबोला, जाईका पर अरबों रूपए हरच चुके हैं, जबकि कोरोना वैक्सीन पर 30 करोड़ 50 लाख डालर व्यय कर रहे हैं। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन शोध शास्त्रियों को उचित ख़र्चे ही नहीं देते, बल्कि इनके उपचार और वैक्सीन के निमान पर भी भारी ख़र्च कर रहे हैं। उन्होंने अभी से इस वैक्सीन के निर्माण के लिए उपयुक्त स्थान भी खोज कर रख लिया है। उनका कथन है कि कोरोना के लिए क़रीब सात अरब वैक्सीन की डोज़ की ज़रूरत पड़ सकती है।
विदित हो, कोरोना वैक्सीन के निर्माण में जुटी कुछ फ़ार्मा कंपनियों और शोध शास्त्री बिल गेट्स को बाधक मैन कर चल रहे हैं।वे बिल गेट्स को स्वयंभू वैक्सीन निर्माता मान कर चल रहे हैं। इस पर बिल गेट्स ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को जवाब दिया है कि वह वैक्सीन के निर्माण में धन लगा रहे हैं, अपना मत दे रहे हैं, लेकिन अंतिम फ़ैसला तो वैज्ञानिकों को ही करना है।