प्रवासी मज़दूरों की बदहाली के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्वत: संज्ञान लिए जाने के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी कोर्ट पहुंचे। सुरजेवाला ने इस मामले में दलीलें रखने की अनुमति मांगी। उनकी अर्ज़ी पर भी मुख्य मामले के साथ कल यानि 28 मई को सुनवाई होगी।
सुरजेवाला की ओर से वकील सुनील फर्नांडीस ने कहा कि सरकार को हर जिले में प्रवासी मजदूरों के लिए सहायता केंद्र स्थापित करना चाहिए। प्रवासी मजदूरों को ये पता होना चाहिए कि उनके लिए हाल ही में जिन पैकेज की घोषणा की गई है, उनमें उन्हें क्या मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को लॉकडाउन के बाद देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने कहा था कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश भर में प्रवासी मजदूर की दयनीय स्थिति का खबरें आ रही हैं। मजदूर पैदल और साईकिलों से लंबी दूरी तय कर अपने घरों की और लौट रहे हैं। ये मजदूर शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें रास्ते में कहीं भी प्रशासन की ओर से न तो भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही पानी।
कोर्ट ने कहा था कि संकट की इस घड़ी में समाज के इस हिस्से को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से खास मदद की दरकार है। सुप्रीम कोर्ट को इस संबंध में कई पत्र लिखे गए हैं, जिसमें इन मजदूरों की स्थिति को रेखांकित किया गया है। आज भी ये मजदूर रोड पर, हाईवे पर, रेलवे स्टेशनों और राज्यों की सीमाओं पर फंसे पड़े हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें उनके खाने-पीने और परिवहन की व्यवस्था तुरंत करें।
कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कदम उठा रही हैं लेकिन वे नाकाफी हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीकृत प्रयास की जरुरत है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोर्ट की मदद करने का निर्देश दिया था और कहा कि वे 28 मई को केंद्र की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दें।