भारतीय सेना ने ईस्टर्न लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य दबाव की नीति पर आगे बढ़ते हुए देख चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का मन बना लिया है। सेना ने गतिरोध वाले इलाकों में सैनिकों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। एलएसी पर हालात को लेकर उच्चस्तरीय चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, अतिरिक्त सैनिकों को मौके पर भेजने का काम शुरू भी हो गया है। सूत्रों ने बताया कि लगातार तीन-चार दिनों से हालात की उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है। समीक्षा के दौरान चीन के प्रेशर टैक्टिक्स पर भी गहन चर्चा हुई जिसके बाद तय किया गया कि भारत भी अपने इलाके में सैनिकों की संख्या बढ़ाएगा ताकि चीन की तरफ से संभावित हरकतों का माकूल जवाब दिया जा सके।
हालांकि भारत का यह स्टैंड भी बिल्कुल स्पष्ट है कि भारतीय सैनिक अपनी तरफ से कोई ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे तनाव बढ़े। इतना जरूर है कि भारत किसी भी प्रकार के दबाव में आकर अपने इलाके पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा। भारत संवेदनशील क्षेत्रों में लंबी तैयारी के लिए तैयार है और वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बनाए रखने पर जोर देगा। ऐसा कहा जा रहा है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो क्षेत्र और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिक तैनात कर दिए हैं तथा वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण और अस्त्र प्रणाली को मजबूत कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उपग्रह से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने एलएसी पर अपनी तरफ रक्षा अवसंरचना को महत्वपूर्ण ढंग से मजबूत किया है और पैंगोंग त्सो क्षेत्र से लगभग 180 किलोमीटर दूर एक सैन्य हवाईअड्डे पर निर्माण गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।