मलेरिया की दवा कोरोना मरीजों के ‎लिए खतरनाक



जानलेवा कोरोना वायरस के मरीजों को मलेरिया की बीमारी में इस्तेमाल आने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का डोज देने को लेकर दो बड़ी खबरें एक साथ आई हैं। पहली यह है कि कोविड-19 के मरीजों को मलेरिया की दवा देना खतरनाक है। जबकि दूसरी खबर है कि भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है जिसमें कोविड-19 के मरीजों और उन मरीजों के गिर्द काम करने वाले कोरोना वॉरियर्स के लिए इस दवा को लेने की सलाह डोज के हिसाब से जारी की गई है। ईलाज में मलेरिया की दवा के इस्तमाल को लेकर अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन सामने आया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कोविड-19 के मरीजों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर 22 मई को नई गाइडलाइन जारी की है। तीन पन्नों की इस गाइडलाइन में चौथे नंबर में किसे, कितनी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की दवा का डोज लेना है उस बारे में हिदायत लिखी गई है।

लेबोरेटरी से कन्फर्म होने के बगैर लक्षण वाले मरीजों के लिए 400 एमजी पहले दिन दो बार और फिर हफ्ते में एक बार अगले तीन हफ्ते तक भोजन के बाद लेना है। बगैर लक्षण वाले सभी स्वास्थ्यकर्मी जो कोविड मरीजों की सेवा में लगे हैं और जो प्रभावित इलाकों में कार्यरत हैं या फिर इसी तरह कंटेनमेंट जोन में सर्विलांस वर्कर और कोविड-19 गतिविधियों में शामिल पारामिलिट्री या पुलिसकर्मियों के लिए सलाह है कि वे पहले दिन 400 एमजी दो बार लें और उसके बाद सात हफ्ते तक हफ्ते में एक बार भोजन के साथ इसे लें। इन तथ्यों पर गौर करने से यह बात साफ है कि एंटीबायोटिक के साथ हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन देने का बहुत बुरा नतीजा सामने आया है। हर चौथे मरीज की इससे मौत हो सकती है।

जिन मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के साथ एंटीबायोटिक दी गई, उनमें से 8 प्रतिशत मरीजों में हॉर्ट एरीथिमिया की बीमारी विकसित हो गई। वहीं, जिन मरीजों को यह दवा नहीं दी गई, उनमें केवल 0.3 प्रतिशत मरीजों में दिल की यह बीमारी देखी गई। एक रिपोर्ट के अनुसार क्लोरोक्वीन या हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से कोरोना मरीजों को कोई फायदा नहीं होता है। अगर इस ताजा वैश्विक मेडिकल रिसर्च पर यकीन करें तो अमेरिका में मौत के भयावह आंकड़ों के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सबसे बड़े गुनहगार के तौर पर दिखते हैं, जिन्होंने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को क्लोरोक्वीन के मुकाबले कम खतरनाक बताया और इसे कोरोना दवा के तौर पर प्रचारित किया था। स्थिति यह है कि दुनिया में हर दस कोरोना पीड़ितों में से 3.1 अमेरिकी हैं। मालूम हो कि अमेरिका में 16 लाख 66 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज हैं तो मरने वालों की तादाद 97 हजार से ज्यादा हैं। दुनिया में इस बीमारी से मरने वाले हर दस में 2.87 व्यक्ति अमेरिकी हैं।
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