प्रतिदिन सुबह-सुबह उठकर लीजिये यह सात नाम, बनने लगंगे आपके सभी बिगड़े काम

आपने देखा होगा की बहुत से ऐसे लोग होते है जो मेहनत तो जीतोड़ करते है मगर उन्हे उनकी मेहनत के अनुसार कभी उतनी तरक्की नहीं मिल पाती है जिसकी वजह से उन्हे आमतौर पर धनलाभ नहीं हो पाता है और वे ज़्यादातर निराश ही रहते है। सामान्य सी बात है यदि कोई खूब मेहनत करे और उसके बदले में उसे धन लाभ भी ना होने पाये तो उसकी मेहनत का क्या अर्थ रह गया।  कई बार इस सब की वजह उस व्यक्ति की कुंडली के दोष को भी माना जाता है तथा ऐसा भी कहा जाता है की जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों की वजह से भी भगवान की कृपा नहीं मिलती है और गरीबी का सामना करना पड़ता है।
खैर आज हम आपको कुछ ऐसे बहुत ही साधारण मगर कारगार उपाय बताने जा रहे है जो आपके बुरे समय को भी दूर कर सकता है। बताना चाहेंगे की महाभारत और गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है की प्रतिदिन सुबह उठते ही 7 ऋषियों यानी सप्त ऋषियों के नामों का जाप करना चाहिए। ऐसा माना गया है की सप्त ऋषियों का जाप करने से आपको सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।
सबसे पहले ऋषि हैं विश्वामित्र, कहा जाता है की इन्होंने गायत्री मंत्र लिखा था और ये भगवान श्रीराम और लक्ष्‍मण के आचार्य गुरु थे। इसके बाद दूसरे ऋषि हैं वशिष्ठ, माना जाता है की ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्रों के गुरु थे, इन्होने ही चारों भाइयों को शुरुवाती शिक्षा-दीक्षा दी है और कहा जाता है की इनका जन्म ब्रह्माजी की इच्‍छा शक्ति से हुआ है। तीसरे ऋषि हैं द्रोणाचार्य, आपकी जानकरी के लिए बता दे की ऋषि द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों दोनों को शिक्षा दी थी। चौथे ऋषि हैं अगस्‍त्‍य मुनि, ऐसा माना जाता है की ऋषि अगस्त्य सप्त ऋषियों में से एक हैं और सबसे बड़ी बात यह है की इनका जन्म काशी में हुआ था।

पांचवें ऋषि हैं भृगु, आपको बता दे की ऋषि भृगु ने भृगु संहिता की रचना की थी, माना जाता है की ये भगवान ब्रह्मा के मस्तिष्क से उत्पन्न हुए थे। इसके बाद छठे ऋषि हैं कश्‍यप, धर्म-पुराणों के अनुसार काहा जाता है की कश्यप ऋषि की 12 पत्नियां थीं। इसके अलावा आपको यह भी बता दे की इनके नाम से ही कश्यप गोत्र की उत्पत्ति हुई है। ऐसा कहा जाता है की जो भी प्राणी इन सातों और ऋषियों के नामों का जाप प्रतिदिन नियम से रोज प्रातःकाल में करते हुए भगवान से अपना बुरा समय दूर करने की प्रार्थना करता है उसकी प्रथना का फल उसे बहुत ही शीघ्र मिलता है।

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