दुनिया भर में कोरोनोवायरस के मामलों की संख्या रविवार को 60 लाख से ऊपर दर्ज की गई। ब्राजील में दैनिक संक्रमण में एक और रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। जबकि महामारी से निपटने के तरीके पर दुनिया के नेताओं के बीच विभाजन और गहरा होता जा रहा है।
लैटिन अमेरिकी देशों के लिए मुश्किल पिछले कुछ हफ्तों से लगातार बढ़ रही हैं क्योंकि यह बीमारी पूरे क्षेत्र में तेजी से फैलती जा रही है। यहां तक कि दुनिया के जो हिस्से लॉकडाउन से बाहर निकल रहे हैं, वहां भी कोरोनावायरस ने अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया है और लाखों लोगों की नौकरियां छीन ली हैं।
दक्षिण अमेरिका में प्रकोप का केंद्र ब्राजील लगभग 500,000 पुष्ट मामलों के साथ केवल अमेरिका से पीछे है। लॉकडाउन के उपायों पर नेताओं के बीच असहमति ने कोरोनावायरस को धीमा करने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न की है और देश में सगभग 30,000 लोगों की मौत कोरोनावायरस से हुई है।
राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो जो लॉकडाउन के उपायों से आर्थिक गिरावट का डर है। जिसके नतीजों को वे कोरोनावायरस से भी बदतर समझते हैं।
कोरोनावायरस महामारी से वैश्विक मौतों की संख्या 368,000 को पार कर गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन से स्थायी रूप से संबंध तोड़ने के फैसले की व्यापक रूप से आलोचना की गई है। ट्रम्प ने शुरू में डब्ल्यूएचओ की अमेरिकी फंडिंग को पिछले महीने निलंबित कर दिया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने कोरोनावायरस के शुरुआती प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाये और चीन के साथ बहुत उसकी अधिक मिलीभगत है।
चीन में ही पिछले साल के अंत में कोरोनावायरस उभरा। शुक्रवार को ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी को एक बड़ा झटका देते हुए उससे स्थायी रूप से बाहर निकलने का निर्णय लिया। अमेरिका डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसने पिछले साल 400 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था।