दिल्ली में ठेला चलानेवाला हरलाखी थाना इलाके के सोंठ गांव के 40 वर्षीय समीरुल वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बेरोजगार हो गया। लाॅकडाउन में जब वह रोजी-रोटी की समस्या से जूझने लगा और गांव में रह बीबी-बच्चों की याद आई तां समीरुल ने गांव लौटने का फैसला लिया।
हालांकि लाॅकडाउन की वजह से गाड़ियों की कौन कहे पैदल चलना भी मुश्किल था। यातायात के कोई साधन उपलब्ध होता ना देख अपने ठेला से ही गांव के लिए रवाना हो गया और आठ दिन में ठेला चलाकर अपने घर पहुंच गया। गांव में दिल्ली से ठेला चलकर पहुंचने पर ग्रामीण और परिजन उसे पीएचसी लेकर गए जहां जांच में वह बिल्कुल स्वस्थ पाया गया। पीएचसी के डाॅक्टरों के मुताबिक उसमें कोरोना के भी कोई लक्षण नहीं पाए गए। फिर भी उसे गांव के पास के ही एक स्कूल में 14 दिनों के लिए आइसोलेट कर दिया गया है। समीरुल ने कहा कि लाॅकडाउन के कारण रहने और खाने की बड़ी समस्या थी।
कुछ पैसे बचे थे, सोचा कि वह भी खर्च हो गए तो क्या करेंगे। बीबी-बच्चों के लिए क्या भेजेंगे। भोजन तो मिल नहीं रहा है। ऐसे में अगर यहां रहे तो मरने के सिवा कोई चारा नहीं है। यही सोचकर अपने ठेला से ही गांव पहुंचने का निर्णय लिया। रोज आठ दिन ठेला चलाकर गांव पहुंच गया। अब बीबी-बच्चों के पास हूं तो बड़ी सुकून है। किसी भी मुसीबल की घड़ी में उनके पास तो आसानी से पहुंच जाएंगे। 14 दिनों की तो बात है, यह भी काट लेंगे।