आंखों का फड़कना सिर्फ अंधविश्वास है या फिर है शरीर से जुड़ी कोई खास वजह



अंगों का फड़कना एक सांकेतिक फल माना जाता है जो कई बार हमे ठीक लगता है लेकिन कई बार इस तरह से होना मज़ाक भी बन जाता है। ऐसी मान्यता है कि आंखों का फड़कना किसी होने वाली घटना का संकेत होता है, कहते है की यदि दांई आंख फड़कती है तो शुभ है अन्यथा कुछ अशुभ होने वाला है। इन तमाम बातों के बारें में बात करने से पहले आपको बताना चाहेंगे की आंख का फड़कना पूरी तरह से शारीरिक कारणों से होता है और इसका शुभ या अशुभ घटनाओं के संकेत से कोई लेना-देना नहीं है।
आंख या यूं कहें पलक का फड़कना एक सामान्य सी बात है, जब हमारी आंखों के आस-पास की मांसपेशियां सिकुड़ती हैं तो हमारी आंख फड़कती है। आपको बता दे कि इससे केवल शारीरिक परेशानी होती है, किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता और चूंकि यह से सामान्य सी घटना है जो कुछ ही देर बाद अपने आप बंद भी हो जाता है। अक्सर देखा जाता है कि जेबी आप काफी थके हुए होते है या काफी तनाव में होते है तो भी आंख फड़क सकती है।
कई बार आंखों में नमी की कमी के कारण भी इस तरह की समस्या होती है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत ज्यादा कैफीन  जैसे कॉफी, चाय, सोडा, शराब और शराब का सेवन के कारण भी आंख फड़कती हैं। इस चीज़ से बचने के लिए आप जितना सम्भव हो उतनी जोर से आँखें बंद करें फिर खोलें। इस क्रिया को तब तक जारी रखें जब तक आँसू न निकलने लगे। ऐसा करने से आँखों मे आँसू आ जाते है और आँखों में हो गए सूखेपन को खत्म कर इस परेशानी को दूर कर देता है। आपको बता दे कि पलकों के झपकने से आँखों की मांशपेशियों को काफी आराम मिलता है, पलकों को बार-बार झपकाने से आंख की सफाई भी हो जाती है और पुतलियों तक नमी भी पहुंचती है।

आँखों के व्यायाम से न केवल उनका फड़कना रूकता है बल्कि आँख की मांसपेशियों भी मजबूती होती हैं।  खैर आपको बता दे कि थकान आँखों को शुष्क भी बना देती हैं जिसके कारण आँखों का फड़कना शुरू हो जाता हैं। जरूरी है कि आप कम से कम 7 से 8 घंटे की बराबर नींद लें और टीवी, मोबाइल, कम्प्यूटर आदि का प्रयोग कम से कम करें।

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