जब आंध्र प्रदेश की एक गर्भवती महिला के लिए 'फरिश्ते' बन गए समस्तीपुर के लोग, जानिए कैसे

समस्तीपुर के अस्पताल में आंध्र प्रदेश की एक महिला
अपने परिवार की प्रताड़ना से तंग आ चुकी गर्भवती महिला ने घर छोड़ दिया और फिर आंध्रप्रदेश से भटककर चार अलग-अलग ट्रेनों मे यात्रा करती हुई बिहार के समस्तीपुर जा पहुंची. उसको खुद ही कुछ पता नहीं था कि वो कहां पर  चली जा रही है लेकिन समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले ही उसको प्रसव पीड़ा शुरू हो गई. वो प्रसव पीड़ा से कराह ही रही थी तभी ट्रेन में यात्रा कर रहे लोग उसके लिए फरिश्ते बने. सह यात्रियों ने मानवता का परिचय देते हुए उसे स्थानीय सदर अस्पताल में भर्ती कराया जहां महिला ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.

भाषा समझने में भी हो रही थी दिक्कत
महिला ने अस्पताल में बच्चों को जन्म तो दिया लेकिन फिर लोगों को यह नहीं मालूम हो सका कि ये महिला रहने वाली कहां की है. अस्पताल में भर्ती महिला की पहचान आवश्यक थी इसलिए अस्पताल प्रशासन के द्वारा लगातार प्रयास किया जाने लगा. महिला जिस भी भाषा का प्रयोग कर रही थी वो तेलगु था लेकिन अस्पताल कर्मियों को भाषा समझ में परेशानी और इसको दूर करने के लिए सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ ए एन शाही जवाहर नवोदय विद्यालय के तेलुगु भाषा के शिक्षक एस श्याम की मदद लिया गया जिसके बाद महिला का पता सामने आया और सामने आया उसकी दर्द भरी दास्तां.

पति की प्रताड़ना से बहुत ही ज्यादा तंग थी महिला
जवाहर नवोदय विद्यालय बिरौली शिक्षक ने महिला से जानकारी हासिल करके शिक्षक ने बताया कि इस महिला का नाम जयलक्ष्मी है जो की आंध्र प्रदेश के करनैल जिले के उड़वाकुंडा की ही रहने वाली है. महिला का पति वहां पर  कुली का काम करता है और इस महिला के पहले से दो बच्चे भी हैं लेकिन बार-बार महिला के पति और उसके ससुराल वालों के द्वारा उसको प्रताड़ित किया जा रहा था जिससे तंग आकर महिला ने घर भी छोड़ दिया और भटकती हुई वो समस्तीपुर पहुंच गई.

वापस नहीं जाना चाहती है आंध्र

स्टेशन पर उसको तड़पता देख लोगों ने अस्पताल पहुंचा दिया. महिला का तो ये भी कहना है कि उसके माता-पिता दोनों गुजर चुके हैं अब उसका कोई भी नहीं है और वो वापस अपने पति और ससुराल वालों के पास नहीं जाना चाहती है. अस्पताल उपाधीक्षक अब उस महिला के द्वारा बताएं गए पत्ते पर उसके परिजन से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उसे को सुरक्षित उसके परिवार वालों के पास पहुंचाया जा सके.
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