‘मुझे दमे के साथ अल्सर है, खून की उल्टियां होती है, बाहर तड़पकर मरता इससे अच्छा जेल वापस लौट आया’

एमवायएच से भागे कैदी को सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। अब उसे कड़ी निगरानी में रखा है। जेल में हुई पूछताछ में पता चला कि आरोपित अस्पताल से भाग तो गया, फिर उसे अपनी हालत और भूख की याद आई तो जेल लौट आया। यहां पर किसी जेल कर्मचारी से पहचाने जाने का इंतजार कर रहा था कि पुलिस ने पकड़ लिया। कैदी का नाम जीतू उर्फ जितेंद्र पिता धीरज निवासी राज नगर है। उसे दमा है और खून की उल्टियां होती हैं। इसके चलते उसे इलाज के लिए बड़े अस्पताल भेजा, जहां से वह भाग गया था। 
इसके बाद जेल के पीछे से ही पकड़ा गया। उसे संयोगितागंज पुलिस ने कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे सेंट्रल जेल भेज दिया गया। जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने बताया कि आरोपित को निगरानी के बीच रखा है। उससे पूछताछ की गई। पहले उसके भागने के घटनाक्रम पर शंका हो रही थी, लेकिन पूछताछ में उसने खिडक़ी से ही भागने की बात कही। उससे पूछा गया कि भाग गया तो वहां से वापस जेल के पीछे क्यों भटक रहा था। इस पर उसका कहना है कि वहां से भाग तो गया, लेकिन फिर उसे ध्यान आया कि वह दमे का मरीज है। कोई भारी काम वह कर नहीं सकता।

घर के आर्थिक हालात भी ठीक नहीं हैं। उस पर से अल्सर के कारण उसके खाने-पीने में भी परहेज करना पड़ता है। बाहर उसका इलाज भी नहीं हो पाता। बाहर तड़प-तड़प कर मरने से अच्छा है कि वापस जेल चला जाए। इसके चलते वह जेल के पिछले हिस्से में भटक रहा था। उसे लगा था कि जेल स्टाफ उसे पहचान लेगा और पकडक़र वापस बंद कर देगा। इस बीच पुलिस वहां पहुंच गई। जेल अधीक्षक के मुताबिक इस मामले में लापरवाही बरतने पर दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
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