पाना हो निखार तो अपनाए स्नान करने का यह तरीका, इसके है कई फायदे



कहते है रोज़ नहाने से बीमारियां नहीं होती, बॉडी को रिलैक्स करने के हम स्नान करते है। तन और मन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भाप स्नान एक सर्वोत्तम उपाय है। इसके लिए आप भाप स्नान भी कर सकते है और यह कई तरह की बीमारियों से भी राहत देता है। माना जाता है की इसकी शुरुआत यूरोपीय देशों से हुई थी जो आज पूरे विश्व में प्रसिद्धी पा चुका है। इसमें स्पा बॉडी मसाज, सोना बाथ, स्टीम बाथ और बॉडी रैप आदि का पूरा संमायोजन होता है। खूबसूरती बढ़ाने और बॉडी को रिलैक्स करने में इसका उपयोग होता है। अगर किसी विशेष रोग में इसका प्रयोग कर रहे है तो विशेषज्ञ से सलाह बहुत आवश्यक है। इससे डिप्रेशन, मुंहासों, अनिद्रा, मोटापा, जोड़दर्द, बाल झडऩा, के अलावा तनाव घटकर रक्तसंचार दुरुस्त होता है।

भाप कक्ष यानि की स्टीम रूम, यह एक प्रकार का कमरा या बड़ा सा बक्सा होता है जिससे भाप लेने के लिए बनाया गया है। स्टीम रूम चारों ओर से बन्द होता है तथा उसमें भाप पहुंचाने के लिए छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इस रूम में रोगी को बैठाकर उस छोटे-छोटे छिद्र से भाप को कमरे में पहुंचाया जाता है। इस तरह रोगी को लगभग 10 से 12 मिनट तक उस कमरे में रखा जाता है या फिर अधिक पसीना आने तक उसमें रखा जाता है।

इसमें कई प्रकार की चमेली व लैवेंडर, जड़ी-बूटियां व गुलाव जैसी औषधियों के तेलों का प्रयोग होता है। तेल को माथे पर धार बनाकर डालते हैं। नाक, हथेली-हाथों पर भी इसका प्रयोग होता है जिससे थकान, सिरदर्द व तनाव दूर होता है। यह थैरेपी का उपयोग कर त्वचा को मुलायम-चमकदार, मांसपेशियों को मजबूत और मेटाबॉलिज्म बनाया जा सकता है। स्क्रब के रूप में यह रक्तसंचार सुधारकर जोड़ों के दर्द व त्वचा रोगों में लाभ होता है।
इसमें औषधियुक्त तेल से सम्पूर्ण शरीर व परेशानी या दर्द वाले हिस्सों पर मालिश की जाती है। खासकर सिर, पैरों के पंजे व सभी अंगों के जोड़। सुबह खाली पेट यह मसाज मानसिक-शारीरिक दोनों तरह से लाभकारी है। इससे रक्तसंचार दुरुस्त होकर इम्यूनिटी बढ़ती है। जोड़ों की अकडऩ दूर होने से विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं।

रोग की अवस्था में कभी-कभी ठंडे पानी से स्नान करने से रोगी का सिर घूमने लगता है या उसे बेचैनी आने लगती है। ऐसी स्थिति में रोगी को तुरंत कमरे से बाहर निकालकर उसे एक गिलास ठंडा पानी पीने को देना चाहिए और उसका सिर ठंडे पानी से धोना चाहिए। सिर का घूमना या बेचैनी दूर होने तक रोगी को पूर्ण आराम दें। भाप स्नान अधिक कमजोर रोगी, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप व बुखार से ग्रस्त रोगी को नहीं करना चाहिए।

भाप स्नान करने से त्वचा पर बने रोमकूप (छिद्र) खुल जाते हैं और शरीर की गंदगी तेजी से निकलकर बाहर आ जाती है। इस स्नान से शरीर में खून का बहाव तेज होता है, लाल रक्त कण बढ़ते हैं, हृदय मजबूत होता है और गुर्दे सही रूप से कार्य करते हैं। इस स्नान से गठिया, वात, मोटापा, त्वचा रोग आदि दूर होते हैं। यह भाप स्नान दमा तथा सांस नली की सूजन  को मिटाता है। यह सुजाक, यक्ष्मा आदि रोगों में लाभकारी स्नान है।
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