भारत देश में बहुत से लोग ऐसे है जो घर में मंदिर बना कर देवी देवताओ की पूजा करते है. मगर कई बार पूजा करते समय कुछ बातें ऐसी होती है जिनका हमें ज्ञान नहीं होता और ऐसे में कई बार हम पूजा करते समय कुछ गलतिया कर बैठते है. इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे नियम बताना चाहते है, जिनका आपको रोज पूजा करते समय ध्यान रखना है. गौरतलब है, कि पूजा में भगवान् को कभी भी टूटे हुए यानि खंडित चावल नहीं चढाने चाहिए. जी हां ऐसा करना बेहद अशुभ माना जाता है.
इसके इलावा घर के मंदिर में यदि कोई टूटी हुई या खंडित मूर्ति है तो उसे तुरंत मंदिर से हटा दे और इस खंडित मूर्ति को किसी बहते हुए जल में प्रवाहित कर दे या आप इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे भी रख सकते है. बता दे कि घर के मंदिर में कभी दो शिवलिंग की पूजा नहीं करनी चाहिए और साथ ही पूजा करने वाले स्थान पर तीन गणेश जी कभी स्थापित न करे. इसके इलावा पूजा करते समय जब भी पानी, दूध, घी और दही का इस्तेमाल करे तो उसमे ऊँगली कभी न डाले. जी हां इन चीजों को लेने के लिए हमेशा लोटे या चम्मच का ही इस्तेमाल करे.
दरअसल शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है, कि नाखुनो के स्पर्श से ये चीजे अपवित्र हो जाती है और ऐसे में ये चीजे देव पूजा के योग्य नहीं रहती. इसलिए ऊँगली का इस्तेमाल न करे. इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखे कि तांबे के बर्तन में दूध, घी या पंचामृत आदि न डाले. वो इसलिए क्यूकि ताम्बे के बर्तन में ये चीजे डालने से वो शराब के समान हो जाती है. इसलिए ताम्बे के बर्तन में ये चीजे न डाले. इसके इलावा कुछ लोग भगवान् को पुष्प यानि फूल चढाने से पहले उसे पानी में डालते है और फिर पानी से निकाल कर उन्हें भगवान् को अर्पित करते है. तो हम आपको बता दे कि ऐसा करना बिलकुल गलत है.
जी हां गौरतलब है, कि जल से निकाल कर भगवान् को कभी पुष्प न चढ़ाएं यानि फूलो को बिना जल में भिगोएं ही उन्हें भगवान् को अर्पित करे. गौरतलब है, कि जब भी आप अपने घर में हवन करे तो हवन करते समय इस बात का ध्यान रखे कि उस हवन में जो लकड़ी इस्तेमाल हो रही है वो छाल रहित होनी चाहिए और कीड़े लगी हुई नहीं होनी चाहिए. इसके इलावा कई बार हम यज्ञ की अग्नि जलाने के लिए पंखे का भी इस्तेमाल कर लेते है. जो कि बिलकुल गलत है. यहाँ तक कि कई बार दीपक जलाते समय एक दीपक से दूसरे दीपक को भी जला लेते है और ऐसा करना भी अशुभ माना गया है.
बता दे कि तुलसी का पूजा में विशेष योगदान और महत्व होता है. इसलिए तुलसी के पत्ते तोड़ते समय इस बात का खास ध्यान रखे कि उस दिन सक्रांति, पूर्णिमा, यादशी, अमावस्या और रविवार नहीं होना चाहिए और न ही संध्या यानि शाम का समय होना चाहिए. इसके इलावा जब भी आप श्राद्ध या यज्ञ करे तो उसमे सफ़ेद तिल की बजाय काले तिल का ही इस्तेमाल करे.