जिस मां ने 9 महीने कोख में पालने के बाद भारी प्रसव पीड़ा सहन कर बेटे को जन्म देकर दुनिया दिखाई, उसी कलियुगी बेटे ने जरूरत के वक्त 72 वर्षीय बूढ़ी मां को बेसहारा छोड़कर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया। हम बात कर रहे हैं करसोग के ममेल की रहने वाली वृद्ध महिला देवली देवी की। जो आज बेटे और बहू की बेरुखी के कारण दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है, ऐसे में इस असहनीय दुख की घड़ी में देवली देवी के लिए करसोग प्रशासन और पुलिस मसीहा बनकर सामने आई है, जिसने महिला को वृद्ध आश्रम बसन्तपुर भेजने की औपचारिकताएं पूरी न होने तक रोटी सहित रहने का सहारा दिया है। एसडीएम करसोग ने खुद मामले को अपने हाथों में लेते हुए सभी जरूरी कार्रवाई पूरी कर रहे हैं।
देवली देवी के दुख के जख्म बहुत पुराने हैं। करीब 2 साल पहले नियती के क्रूर हाथों सिर पर से पति का साया छीन लिया लेकिन बुढ़ापे में बेटे का सहारा देखते हुए बहुत उम्मीदें थीं लेकिन उन उम्मीदों पर पुरी तरह से पानी फिर गया। पति के दुनिया से चले जाने के बाद बेेटा वृद्ध मां को अकेला छोड़ पत्नी के साथ रामपुर में ससुराल रहने चला गया। वक्त का चक्र घूमने के साथ-साथ देवली देवी का बूढ़ा शरीर अब जवाब देने लगा है और जिंदा रहने के लिए दो वक्त की रोटी बनाने के लिए भी मजबूर है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर को भी कई तरह की बीमारियों ने घेर लिया है, ऐसे में आखिरी वक्त में जीने के लिए मजबूर देवली देवी लड़खड़ाते कदमों के साथ किसी तरह करसोग के सिविल अस्तपाल पहुंची लेकिन यहां भी कोई देखरेख करने वाला नहीं मिला और महिला के बारे में पुलिस को सूचित किया गया।

पुलिस ने वृद्ध महिला को एसडीएम कार्यालय पहुंचाया और एसडीएम करसोग को महिला का दर्द बताया। वृद्ध महिला के साथ समय ने जो खेल खेला उससे एसडीएम का दिल भी पसीज गया और बुजुर्ग महिला की वृद्ध आश्रम बसन्तपुर में व्यवस्था न होने तक देवली देवी को इलाज के लिए सिविल अस्पताल भेजा गया है। यही नहीं, यहां भी महिला की देखरेख के लिए एक पुलिस कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है। इसके साथ प्रशासन ने देवली देवी के लिए भी अपनी तरफ से खाने-पीने की व्यवस्था की है, ऐसे में प्रशासन के इस कदम की सभी सराहना कर रहे हैं जो बुरे वक्त में वृद्ध महिला का सहारा बना है।