दूसरे दिन पोस्टमार्टम तो हो गया, लेकिन परिजनों ने नहीं लिया उसका शव

उपकारागृह में विचाराधीन बंदी की तबियत बिगडऩे से हुई मौत के मामले में मंगलवार को मेडीकल बोर्ड की टीम द्वारा शव का पोस्टमार्टम तो कर दिया गया, लेकिन आत्मरक्षा के लिए हथियार का लाईसेंन्स व 20 लाख रुपए के मुआवजे समेत विभिन्न मांगों पर अडिग़ परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। न्यायिक मजिस्ट्रेट व एसडीओ के अलावा पुलिस की समझाईश भी बेअसर रही। ऐसे में दूसरे दिन भी मृतक बनकी निवासी मोहरसिंह जाटव (55) पुत्र हरचंद का शव राजकीय चिकित्सालय की मोर्चरी में रखा रहा। मृतक के अंतिम संस्कार के दौरन तनाव की आशंका में बनकी गांव में हथियारबंद पुलिस जाप्ता भी तैनात किया गया है।
सुबह करीब 10 बजे से ही चिकित्सालय परिसर में मोर्चरी के बाहर मृतक के परिजन व रिश्तेदारों का जुटना शुरु हो गया। अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक-एक युधिष्ठर मीना, एसडीओ सुरेश कुमार यादव, कोतवाली थानाप्रभारी परभाती लाल, सदर थाना प्रभारी शैलेन्द्र डागुर, पंचायत समिति विकास अधिकारी लखन सिंह कुंतल, जेलर किशनचंद मीना भी अस्पताल पहुंच गए। दोपहर में मेडीकल बोर्ड की टीम में शामिल चिकित्सकों ने शव का पोस्टमार्टम किया। लेकिन इसके बाद परिजनों ने शव को लेने से इनकार कर दिया। परिजनों ने एसडीओ को सौंपे मांग पत्र में मोहरसिंह जाटव की मृत्यु के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। 

इसके अलावा परिवार को जान का भय बताते हुए आत्मरक्षा के लिए हथियार का लाईसैन्स जारी करने, मुआवजे के तौर पर 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद व सुरक्षा की दृष्टि से बनकी गांव में पुलिस चौकी स्थापित कराने की मांग की। मृतक के पुत्र निहाल सिंह, विक्रम ने आरोप लगाया कि उनका पिता मोहरसिंह 25 जनवरी से बीमार था। उपचार के लिए मोहरसिंह व जेल में बंद उसके पुत्र पिन्टू ने जेलकर्मियों से उपचार कराने की मांग की थी, लेकिन उप कारागृह प्रशासन ने उपचार में लापरवाही बरती। आरोप है कि समय पर उपचार नहीं मिलने से सोमवार सुबह मोहरसिंह की तबियत ज्यादा बिगड़ गई, जिससे जेल में ही उसकी मौत हो गई।
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