संयुक्त राष्ट्र (यू.एन.) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को कहा कि कोरोनवायरस कुछ देशों को महामारी रोकने के उपायों से असम्बद्ध कारणों से भी दमनकारी उपायों को अपनाने का बहाना दे सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि महामारी के प्रकोप से एक मानव अधिकार संकट पैदा होने का खतरा पैदा हो गया है।
गुटेरेस ने एक यू.एन. रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया है कि विश्व में स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक संकट पर प्रतिक्रिया और राहत उपायों को किस तरह मानवाधिकारों को ध्यान में रख कर लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जबकि वायरस भेदभाव नहीं करते हैं, लेकिन इसका प्रभाव ऐसा करता है। कोरोनोवायरस के कारण अब तक विश्व भर में 2.57 मिलियन संक्रमित हुए हैं और 178,574 लोगों की मौत हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासी, शरणार्थी और आंतरिक रूप से विस्थापित लोग विशेष रूप से असुरक्षित समूह हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 131 से अधिक देशों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है, केवल 30 देशों ने शरणार्थियों के लिए छूट की अनुमति दी है।
उन्होंने कहा कि कुछ देशों में नस्लीय-राष्ट्रवाद, लोकलुभावनवाद, अधिनायकवाद की बढ़ती पृष्ठभूमि और मानव अधिकारों के खिलाफ एक उभार का संकट, इस महामारी को रोकने से असंबंधित उद्देश्यों के लिए भी दमनकारी उपायों को अपनाने के लिए एक बहाना प्रदान कर सकता है। यह अस्वीकार्य है। हालांकि उन्होंने ऐसे उपायों का कोई विशेष उदाहरण नहीं दिया।
यू.एन. की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी को यदि बढ़ने से नहीं रोका जाता है तो यह और
अधिक कष्ट पैदा कर सकती है। उससे तनाव बढ़ेगा और नागरिक अशांति भड़क सकती है। इसकी एक भारी-भरकम सुरक्षा प्रतिक्रिया हो सकती है। गुटेरेस ने कहा कि सभी उपाय करते
हुए यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि खतरा वायरस है, लोग नहीं।
हुए यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि खतरा वायरस है, लोग नहीं।