वैसे तो भारत में शिवजी के कई मंदिर बने हैं जहाँ हिन्दू भक्तों का ताता हमेशा जमा रहता हैं. लेकिंग आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ हिन्दू भक्तों के अलावा मुस्लिम भी पूजा करने आते हैं.
भारत विविधताओं से भरा देश हैं. यहाँ भिन्न भिन्न जातियों और धर्मो के लोग रहते हैं. लेकिन इतनी विविधता होने के बाद भी भारत की खासियत ये हैं कि यहाँ हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मो के लोग मिलजुल कर रहते हैं. यहाँ हमें आपसी भाईचारे की कई मिसाल समय समय पर देखने को मिल जाती हैं. ऐसा ही एक अद्भुत नजारा झारखंडी शिव मंदिर में देखने को मिलता हैं.

गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्बे के पास बसे सरया तिवारी नाम के गाँव में एक अनोखी शिवलिंग विराजित हैं. झारखंडी शिव नाम से प्रसिद्द यह मंदिर करीब सौ साल पुराना हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि ये शिवलिंग जमीन में से स्वयं प्रकट हुई थी. इस शिवलिंग की ख़ास बात यह हैं कि हिन्दू जितनी श्रद्धा भक्ति से इस शिवलिंग की पूजा करते हैं उतनी ही सिद्दत से मुस्लिम भी इसे पूजते हैं.
इस वजह से मुस्लिम करते हैं शिवलिंग की पूजा

अब आप सोच रहे होंगे कि इस शिवलिंग में ऐसा क्या ख़ास हैं जो मुस्लिम इसे अपने लिए पूजनीय मानते हैं. दरअसल इस शिवलिंग के ऊपर कलमा (इस्लाम का पवित्र वाक्य) खुदा हुआ हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि इसे महमूद गजनवी ने शिवलिंग पर खुदवाया था. पुरानी कहानियों के अनुसार महमूद गजनवी ने इस शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन वो लाख कोशिशो के बावजूद इसमें सफल नहीं हो पाया. इसके बाद उसने शिवलिंग पर उर्दू भाषा में ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ लिखवा दिया ताकि हिन्दू समुदाय के लोग इसकी पूजा पाठ ना कर सके.
हिन्दू मुस्लिम दोनों ही करते हैं पूजा

लेकिन इसके बावजूद शिवलिंग की अहमियत बढ़ती चली गई और आज यहाँ इस चमत्कारी शिवलिंग को देखने के लिए हिन्दू और मुस्लिम दोनों की ही भीड़ रहती हैं. सावन के महीने में जहाँ इस मंदिर में हिन्दुओं की भीड़ रहती हैं तो वहीँ रमजान के महीने में मुस्लमान भाई यहाँ इबादत करने आते हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि इस मंदिर में जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से शिव की आराधना करता हैं उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती हैं.
चमत्कारी हैं यहाँ का पानी

ऐसा कहा जाता हैं कि इस मंदिर के पोखरे का जल चमत्कारी हैं. इस जल को छूने मात्र से इंसान के कुष्ठ रोग ठीक हो जाते हैं. जो लोग अपने चरम रोग से मुक्ति पाना चाहते हैं उन्हें यहाँ आकर पांच मंगलवार और रविवार स्नान करना चाहिए.