
भारतीय समाज में हिन्दू महिलाएं सदियों से करवाचौथ का व्रत रखती आ रही है, आज से ठीक आठ दिन बाद हर साल की तरह महिलाएं इस साल भी करवाचौथ का व्रत रखेंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर करवाचौथ का व्रत क्यों रखा जाता है और इसे रखने के पीछे क्या कारण है,क्यों सुहागिन और कुवांरी लड़कियां ये व्रत रखतीं है। दरअसल सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखतीं है और कुवांरी अच्छे लड़कियां पति की चाह में।
क्या है मान्यता ?

हिन्दू रीती रिवाज़ के अनुसार महाभरत काल में जब पांडवों को वनवास भेज दिया गया था तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बहन द्रौपदी को ये करवाचौथ का व्रत रखने को कहा था। उन्होंने द्रौपदी से कहा था की अगर वो ये व्रत रखतीं हैं तो उनके पांचों पति की आयु लम्बी हो जायेगी और उनपे आने वाला हर मुसीबत का नाश होगा। महाभारत काल से ही भारत में इस व्रत को रखने की शुरुवात हुई थी जो हज़ारों वर्ष के बाद आज भी चलता आ रहा है। इस दिन हिन्दू महिलाएं पूरे दिन बिना जल और अन्न के अपने पति की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चाँद को अर्घ देने के बाद व्रत खोलती है। ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी को रखा जाता है। इस साल करवाचौथ का ये पवन पर्व आने वाली 8 तारिक को है, यानि आज से ठीक 8 दिन बाद।
व्रत रखने पर मिलता है ये आशीर्वाद

करवाचौथ का ये पावन व्रत रखने पर महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वर मिलता है, इस आर्शीवाद का अर्थ ये है की उनके पति की आयु लम्बी होगी और वो सदा सौभाग्यवती रहेंगी। अगर आप भी एक शादी शुदा स्त्री हैं तो आप भी अपने पति की लम्बी आयु के लिए ये व्रत जरूर रखें, यहाँ तक की जिनकी शादी नहीं हुई है वो भी इस व्रत को रख सकतीं हैं। ऐसी मान्यता है की अगर कुंवारी लड़कियां ये व्रत रखें तो उनको मन चाहा वर मिलता है। हमारे यहाँ इस दिन सुहागिन महिलाएं पुरे सोलह श्रृंगार कर ये निर्जला व्रत रखती है और शाम को पति के हाथों पानी पीने के बाद ही व्रत खोलती हैं।