पितृदोष का भयानक असर बर्बाद कर सकता है आपका जीवन, ये है बचने के उपाय !




हमारे ज्योतिष में पितृदोष का सबसे प्रबल यानि मजबूर कारक राहु और केतु को माना गया है. ऐसे में यदि उनका संबंध चंद्र, सूर्य, मंगल, शनि और गुरु आदि से हो तो व्यक्ति को कई तरह के पितृ दोष होने की सम्भावना रहती है. वैसे सवार्थ चिंतामणि के अनुसार.. राहु केतु समायुक्ते बाधा पैशाचकी स्मृता ! इसका मतलब ये है, कि निम्र स्तर में राहु पिशाच बाधा, व्यभिचार, विष द्वारा मृत्यु होना, सर्प यानि सांप के आकार का आकस्मिक प्रभावकारी निवास, सर्प की बांबी या अतिवृद्धावस्था, कपटी या षड्यंत्रकारी, असत्यवादी आचरण आदि माना गया है. जब कि उच्च स्तर में राहु ध्यान, धारणा समाधि आदि का कारक है.
इसके इलावा केतु.. नागलोक, चर्म रोग, भयानक भूल, नीच आत्माओ से कष्ट, कुत्ते या मुर्गे का काटना आदि कार्यो का कारक माना जाता है. मगर उच्च स्तर में मोक्ष प्राप्ति, ब्रह्मज्ञान, मन्त्र शास्त्र, गणेश, शिव या विष्णु आदि का कारकत्व इसे प्राप्त है. गौरतलब है, कि वृहत पाराशर होरा शास्त्र नामक प्रसिद्ध ग्रंथ में “पूर्व जन्मशाप द्योतक” अध्याय में कई प्रकार के पितृदोषों और शापो का वर्णन किया गया है. जिनका प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ता है.
मगर हम यहाँ केवल पितृशापो के द्वारा वंशानुगत संतानहीनता या वंश क्षय आदि की जानकारी ही प्राप्त करेंगे. इसके इलावा उक्त प्रकार के पितृदोषों का शास्त्रोक्त वर्णन करेंगे. गौरतलब है, कि पितृशाप दस प्रकार के होते है. जो इस प्रकार है. १. अनापत्य योग यानि नि:संतान योग २. सर्पशाप ३. पितृशाप ४.मातृशाप ५.भ्रातृशाप ६.मामाशाप ७. पत्निशाप ८. ब्रह्मशाप ९. प्रेतशाप १०. कुलदेव के शाप से पुत्रहीनता आदि इसमें शामिल है. ऐसे में संतान प्राप्ति के लिए इन शापो की विधिवत शान्ति जरुरी है. बता दे कि संतान प्रतिबंधक योग यदि देवशाप से हो तो निम्नलिखित ग्रह बाधा कारक होते है. जिनकी शान्ति उस दिन या उस ग्रह की विशिष्ट पूजा से होती है.
सूर्य.. इसके अनुसार यदि पितृदेव या भगवान् शिव या गरुड़ या वरुण आदि के शाप से संतानहीनता है तो रविवार को जरूर व्रत करे. इसके इलावा त्रयम्बक मन्त्र का जप करे. इसके साथ ही हरिवंश पुराण का पाठ करे और श्रवण करे. इसके बाद पीपल या बड का पूजन और परिक्रमा करे.
चंद्र.. इसके अनुसार माता दुर्गा या माता के शाप से संतानहीनता या क्षीण चंद्र द्वादशी के दोष से संतानहीनता होती है. ऐसे में सोमवार को शंकर जी का पूजन, ब्राह्मणो को भोजन, गौ वस्त्र, अन्न और स्वर्ण दान में दे.
मंगल.. इसके अनुसार शत्रु या ग्रामदेव या स्वामी कार्तिकेय के शाप से संतानहीनता आती है. ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि में कराएं और नौ कन्याओ को भोजन करवाएं.
बुध.. इसके मुताबिक विष्णु के शाप से बिल्ली, मछली या बाल हत्या के शाप से संतानहीनता आती है. इस शाप को दूर करने के लिए बुधवार या शुक्रवार को संतान गोपाल का पाठ करवाएं. इसके साथ ही रूद्र के मंत्रो से शिव जी का अभिषेक करे.
गुरु.. इसके अनुसार खुद के गुरु या कुलगुरु का शाप या यक्षिणी का शाप, फलदार वृक्षों को नष्ट करने का शाप आदि से भी संतानहीनता आती है. ऐसे में अपने कुलगुरु का पूजन करे. इसके साथ ही उन्हें अन्न, भोजन, वस्त्र, धन आदि का दान दे. इसके इलावा विधिवत औषधि मंत्र का प्रयोग करे और अनुष्ठान करे.
शुक्र.. गौरतलब है, कि वृक्ष को फलहीन करने से, साध्वी स्त्री के शाप से, गौ के शाप से या पूजनीय पुरुषो के शाप से संतानहीनता आती है. ऐसे में गौ दान और सधवा ब्राह्मण स्त्री को भोजन कराएं.
शनि.. बता दे कि पीपल का वृक्ष नष्ट करने से, यम के शाप से और पितृशाप से संतानहीनता होती है. ऐसे में रूद्र पाठ और कुलदेव की पूजा करने से लाभ होता है. इसके साथ ही नागपंचमी का व्रत भी करना चाहिए.
केतु.. कई बार ब्राह्मण के शाप से संतानहीनता आती है. ऐसे में इन्हे ब्रह्मभोज और दान दक्षिणा देने से लाभ होता है.
मांदि.. यह पितृशाप से होता है. ऐसे में पितरो के लिए ब्रह्मभोज करना चाहिए. गौरतलब है, कि शुक्र, चंद्र और मांदियुक्त हो तो स्त्रियों में, गौ हत्या के कारण संतानहीनता आती है. इसलिए गौ दान करना चाहिए.

इसके इलावा गुरु, केतु या मांदि के साथ हो तो ब्रह्म हत्या के कारण संतानहीनता आती है. ऐसे में पितृपक्ष में ब्राह्मणो को दान दक्षिणा सहित भोजन करवाने से संतान की प्राप्ति होती है.

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