हमारे समाज में विशेषकर हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का बहुत ही महत्व है। इसे लेकर कई सारे नियम व तथ्य रखा गया है। वहीं पूजा पाठ को लेकर कई मान्यता भी है जिसमें कहा जाता है कि धुप या अगरबत्ती का धुआं घर से निगेटिव एनर्जी का खात्मा करता है, इसके धुएं से वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है। ये एक ऐसी चीज है जिसका प्रयोग अपनी पूजा में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही करते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचने की कोशिश की है कि आखिर लोग क्यों पूजा-पाठ करते समय अगरबत्ती या फिर धुप का प्रयोग करते हैं।
कई जगह तो बिना धुप के को भी पूजा शुरू ही नहीं होती हैं अक्सर आप कई घरों में और मंदिरों में देखते होंगे कि लोग धुप जलाते हैं लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि इसके पीछे का कारण क्या हैं या धुप क्यूँ जलाई जाती हैं, तो आइए जानते हैं।
प्राचीन समय से भगवान को प्रसन्न करने के ओचित्य से धुप जलाई जाती हैं। इसी के साथ व्यक्ति के मन में प्रसन्नता और शांति उत्पन्न होती हैं। धूप न केवल घर को सुगंधित करती है अपितु यह आपको कई प्रकार के रोगों से बचाकर आपके अंदर सकारात्मक उर्जा का प्रभाव भी करती है। इससे घर के सभी लोगों का मूड भी अच्छा रहता है।
वहीं अगर बात करें शास्त्रों की तो कई जगह बताया गया है कि शुक्रवार के दिन मां काली के मंदिर में जांए और वहां मांता के आगे एक धूप जरूर जलाएं। संभवत: धन संबंधी समस्या दूर हो सकती है।
यदि घर का वास्तुदोष खराब हो तो घर पर कभी भी शांति नहीं आती है। नीम की पत्तियों की धूप को सप्ताह में एक बार जरूर जलाएं। इससे न सिर्फ वास्तुदोष खत्म होगा अपितु घर का वातावरण भी शांत होगा।
अगर कोई व्यक्ति गुग्गल की धूप को नियमित घर पर जलाते हैं तो इससे घर का क्लेश शांत होता है और घर में सकारात्मक उर्जा आती है। इसके अलाव घर का माहौल सुगंधित होता है।
वास्तुशास्त्र में अगरबत्ती को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। घर के साथ की दुकान, ऑफिस में भी प्रतिदिन सुबह-शाम अगरबत्ती जलाने से व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होती है।