
हिन्दू धर्मशास्त्रों में गंगाजल को सबसे पवित्र माना गया है। किसी भी पूजा या पवित्र कार्यों में गंगाजल का का छिड़काव जरूर किया जाता है और इसका कारन है की गंगाजल सबसे पवित्र होता है। गंगाजल पवित्र होता है ये तो आप जानते हैं लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे है की गंगाजल पवित्र क्यों होता है। आज जिस कारन के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसे जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे। तो आईये जानते है की आखिर किस वजह से गंगाजल कभी भी ख़राब नहीं होता है।
लाशें और कचरा फेंकने के वाबजूद भी नहीं ख़राब होता है गंगा का पानी

हरिद्धार हो या फिर पवित्र गंगाघाट अपने भी देखा होगा की आजकल लोग गंगा में कूड़ा कचरा से लेकर लाशें भी फेंक देते हैं लेकिन इसके वाबजूद भी आज तक ऐसा नहीं देखा गया है की गंगा का पानी ख़राब हो गया हो या उसमे से किसी भी प्रकार की बदबू आ रही हो। लोग घर में गंगाजल स्टोर करके रखते हैं, किसी किसी के घर में तो कई साल पुराने गंगाजल भी पाए जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जो हैरान करने वाली बात है वो ये है की इतने सालों तक स्टोर होने के वाबजूद भी उस गंगाजल में ना तो किसी प्रकार का कीड़ा लगता है और ना ही उसका रंग ख़राब होता है या उसमे से किसी प्रकार की बदबू आती है। पुराने ज़माने से ही लोग गंगा के पानी को सबसे पवित्र और कीटाणु रहित मानते आये हैं लेकिन इसके पीछे असली वजह क्या है ये जानने की कोशिश शायद ही किसी ने की।
इस वजह से नहीं ख़राब होता गंगा का पानी

आपको बता दें की 1980 में ब्रिटेन के एक साइंटिस्ट अर्नेस्ट हाकिंग ने गंगा के पानी के कभी ख़राब ना होने के पीछे के वजह को जानने के लिए गंगा के पानी पर रिसर्च किया था जिसके बाद उन्होनें ये पता लगाया था की गंगा नदी में एक अजीब किस्म का वायरस पाया जाता है जो गंगा के पानी को कभी ख़राब नहीं होने देता। इस विशेष प्रकार के वायरस की वजह से ही गंगा का पानी इतना स्वच्छ रहता है और इसमें किसी भी किस्म का कीटाणु या गंदगी नहीं पनपता है। इस वायरस की वजह से ही गंगा का पानी सालों साल तक स्वच्छ और बदबू रहित ज्यों का त्यों बना रहता है। गंगा के पानी को जो वायरस हमेशा शुद्ध बनाये रहता है उसका नाम है निंजा वायरस।