इस तरह से पहचानें कालसर्प योग के लक्षण और इन उपायों से करें दूर

इस दुनिया में जो भी व्यक्ति आया है उसकी एक अपनी कुंडली होती है। और हर एक की कुंडली में कोई न कोई दोष या फिर कोई ना कोई योग जरूर होता है। इन्हीं दोष और योग में से एक कालसर्प योग होता है। जो किसी किसी की कुंडली में पाया जाता है। यह कालसर्प दोष इंसान की कुंडली में तभी होता है, जब उसके साथ दो ग्रह राहु और केतु की छाया से घिरे हुए होते हैं। इन व्यक्तियों के क्या लक्षण होते हैं और इन से कैसे छुटकारा पाया जाता है आज हम आपको बताएंगे।

काल सर्प योग के लक्षण –

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग होते हैं। उन्हें सपने में हमेशा मृत्यु लोगों की तस्वीरें दिखाई देते हैं। जैसे कि उनके बारे में पूर्वजों को सपने में आते हैं या परिवार का कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी हाल ही में मृत्यु हुई है वह भी उनके सपने में नजर आते हैं।
इसके अलावा उन्हें अपने घर और नदी तालाब के सपने भी बहुत याद आते हैं। ज्यादातर उन्हें हमेशा ऐसा लगता है कि उन्हें कोई अपने वश में जबरदस्ती कर रहा है।
ज्योतिषी के हिसाब से जिनके कुंडली में सर्प योग होता है। उन्हें जिंदगी भर संघर्ष करना पड़ता है और जब उन्हें किसी की जरूरत होती है उस समय वह अकेले रह जाते हैं। उनका कोई साथ नहीं देता।
जिन लोगों की कुंडली में सर्प योग होता है उन्हें हमेशा सपने में ऐसा लगता है। उनके आसपास साँप है। या कोई सांप उन्हें काट रहा है। उन्हें हमेशा ऐसा लगता है कि चारों तरफ से साँप लोगों ने घेर रखा है। इसके अलावा उन्हें ऊंचाई से गिरने का बहुत डर रहता है। और जब वह अकेले रहते हैं तो भी वह हमेशा डरते रहते हैं।
जो लोग कालसर्प योग से घिरे रहते हैं उनको हमेशा अमावस्या के दिन बड़ी श्रद्धा भाव से पूजा आराधना करनी चाहिए। उस दिन श्रद्धा भाव जो भी कालसर्प योग की पूजा की जाती है उसके प्रभाव खत्म हो जाते हैं।

कुंडली से काल सर्प योग दूर करने के आसान उपाय –

उन्हें हमेशा ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप और उसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इससे उनकी कुंडली में कालसर्प योग दूर हो जाता है।
इसके अलावा आप 108 बार राहु के बीज मंत्र का बीज आप कर सकते हैं। इससे भी कालसर्प योग दूर हो जाता है और इसका प्रभाव कम होने लगता है।
जिनको को कालसर्प योग है उन्हें हर शनिवार को पीपल के पेड़ में जल जरूर देना चाहिए।
काल सर्प वालों को नागपंचमी पर खास तौर पर नाग देवता की आस्था के साथ पूजा करना चाहिए। नाग देवता के साथ कृष्ण भगवान की भी पूजा करना आवश्यक है। एक बात का ध्यान हमेशा रखे कि हर शनिवार या फिर पंचमी के दिन नदी में 11 नारियल जरूर चढ़ाए।

किसी भी धातु के बने हुए नाग और नागिन को किसी भी नदी में 108 बार चढाना है। सोमवार के दिन रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए।इसके इलावा रोजाना गायत्री मंत्र का जाप भी जरूरी है।

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