ये है माँ दुर्गा का अनोखा शक्तिपीठ स्थान, जहाँ मुसीबत आने से पहले ही आंसू बहाती है प्रतिमा !


 

यूँ तो आपने बहुत से मंदिरो के रहस्य और उनकी खासियत के बारे में सुना और पढ़ा होगा. मगर आज जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे है. उसके बारे में जान कर आप भी हैरान रह जायेंगे. जी हां गौरतलब है, कि ब्रजेश्वरी देवी का ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में नगरकोट नाम के स्थान पर स्थित है. यही वजह है कि इस मंदिर को नगर कोट की देवी, कांगड़ा देवी और नगर कोट धाम के नाम से भी जाना जाता है. बता दे कि देवी के 51 शक्तिपीठो में से इस स्थान को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए तो इसका वर्णन माता दुर्गा की स्तुति में भी किया गया है.
इसके इलावा अगर इतिहास की माने तो ऐसा कहा जाता है, कि इस मंदिर का निर्माण पांडवो द्वारा किया गया था. जी हां एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती ने अपने ही पिता दक्ष द्वारा यज्ञ में अपमानित होने पर उसी यज्ञकुंड में अपने प्राण त्याग दिए थे, तब गुस्से में भगवान् शिव जी ने उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाते हुए तांडव करना आरम्भ कर दिया था. ऐसे में भगवान् शिव जी के गुस्से को शांत करने के लिए भगवान् विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को 51 हिस्सों में विभाजित कर दिया था यानि बाँट दिया था.
इसी दौरान सती देवी का बायां वक्ष इस स्थान पर गिरा था. बस तभी से ये स्थान देवी के शक्तिपीठ के रूप में स्वीकृत किया गया है. बता दे कि इस मंदिर में माता एक पिंडी के रूप में विराजमान है. इसके इलावा यहाँ देवी की पिंडी के साथ भगवान भैरव की भी एक चमत्कारी मूर्ति स्थापित है. इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है, कि जब इस स्थान पर कोई मुसीबत आने वाली होती है, तो भगवान् भैरव की मूर्ति से आंसू और पसीना बहने लगता है. बरहलाल भक्तो का ये भी दावा है, कि यहाँ ऐसा चमत्कार कई बार देखा जा चुका है.
दरअसल ऐसा कहा जाता है, कि 1977 में इस मूर्ति से आंसू और पसीना निकला था और उसी के बाद कांगड़ा में भीषण अग्निकांड हुआ था. जिसमे काफी दुकाने भी जल कर राख हो गयी थी. बस तभी से मुसीबत को टालने के लिए यहाँ हर वर्ष नवंबर और दिसंबर के मध्य में भैरव जयंती मनाई जाती है. ऐसे में पाठ और हवन भी किया जाता है. वैसे ऐसा कहा जाता है, कि 10 वीं शताब्दी तक ब्रजेश्वरी देवी मंदिर काफी समृद्ध था. मगर बाद में विदेशी आक्रमणकारियों ने यहाँ कई बार हमला किया और सन 1009 में तो मुहम्मद गजनी ने इस मंदिर को पूरी तरह तबाह कर दिया था.

यहाँ तक कि वो मंदिर के चांदी से बने दरवाजे तक भी उखाड़ कर ले गया था. इसके इलावा ऐसा माना जाता है, कि गजनी ने पांच बार इस मंदिर पर हमला किया था और इसे लूटा था. जिसके चलते मंदिर का कई बार निर्माण भी होता रहा. इसके साथ ही कुछ लोगो का कहना है, कि एक बार मुगल सम्राट अकबर यहाँ आया था और उसने इस मंदिर का दोबारा निर्माण करने में सहयोग भी दिया था.

फिर आखिर में 1905 में यह मंदिर पूरी तरह नष्ट हो ही गया. जिसके चलते 1920 में इस वर्तमान मंदिर का निर्माण किया गया. यानि इस मंदिर की कहानी जितनी पौराणिक है, उतनी ही दिलचस्प भी है.


Previous Post Next Post

.