करवा चौथ का त्यौहार हर सुहागन औरतों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सभी औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस वक्त के साथ-साथ कुछ खास काम भी करने जरूरी होते हैं। तभी उसका फल हमें मिलता है आइए जानते हैं वह खास काम क्या है।

अपनी बहू को दें सरगी
करवा चौथ के व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सरगी को माना जाता है। इस दिन हर सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी के अंदर वह अपनी बहू को मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। वह सरगी हर सुहागन महिला को करवा चौथ के दिन सूर्य उदय होने से पहले खाकर अपने निर्जला व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। फिर चांद निकल जाने के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए।
करवा चौथ के व्रत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सरगी को माना जाता है। इस दिन हर सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी के अंदर वह अपनी बहू को मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। वह सरगी हर सुहागन महिला को करवा चौथ के दिन सूर्य उदय होने से पहले खाकर अपने निर्जला व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। फिर चांद निकल जाने के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए।

बेटी के घर भेजें बाया
सरगी की रसम तो हर कोई जानता है। परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि एक बाया की रसम भी करवा चौथ वाले दिन की जाती है। बाया की रसम सरगी की रसम की तरह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन हर मां अपनी बेटी को बाया भेजती है। इसका मतलब है कि वह अपनी बेटी के घर कुछ मिठाईयां,गिफ्ट्स और ड्राई फ्रूट्स भेजती है। जिसे बाया बोला जाता है। यह बाया हमेशा करवा चौथ की पूजा शुरु होने से पहले भेजी जाती है।
सरगी की रसम तो हर कोई जानता है। परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि एक बाया की रसम भी करवा चौथ वाले दिन की जाती है। बाया की रसम सरगी की रसम की तरह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन हर मां अपनी बेटी को बाया भेजती है। इसका मतलब है कि वह अपनी बेटी के घर कुछ मिठाईयां,गिफ्ट्स और ड्राई फ्रूट्स भेजती है। जिसे बाया बोला जाता है। यह बाया हमेशा करवा चौथ की पूजा शुरु होने से पहले भेजी जाती है।

एकचित्त होकर सुनें कथा
इस दिन जितना महत्व सुहागिन महिलाओं का व्रत रखने का होता है। उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी होता है। कुछ महिलाएं ऐसी होती है जो करवा चौथ की व्रत की कथा सुनने में दिलचस्पी नहीं रखती हैं और कथा के समय अपना ध्यान कथा की तरफ ना लगा कर कहीं दूसरी तरफ लगाती है। जो की बहुत ही गलत है। इस त्यौहार में जितना जरूरी महिलाओं के लिए व्रत और पूजा करना होता है। उतना ही आवश्यक कथा सुनना भी है। इसलिए जब भी वह कथा सुने तो अपना मन एकचित्त कर ले।
इस दिन जितना महत्व सुहागिन महिलाओं का व्रत रखने का होता है। उतना ही महत्व करवा चौथ की कथा सुनने का भी होता है। कुछ महिलाएं ऐसी होती है जो करवा चौथ की व्रत की कथा सुनने में दिलचस्पी नहीं रखती हैं और कथा के समय अपना ध्यान कथा की तरफ ना लगा कर कहीं दूसरी तरफ लगाती है। जो की बहुत ही गलत है। इस त्यौहार में जितना जरूरी महिलाओं के लिए व्रत और पूजा करना होता है। उतना ही आवश्यक कथा सुनना भी है। इसलिए जब भी वह कथा सुने तो अपना मन एकचित्त कर ले।