बच्ची को जन्म देकर चल बसी मां, अब महिला जज ने लिया गोद, जानें क्या था कारण

गुजरात में आणंद जिले के वासद सीएचसी सेंटर में बच्ची को जन्म देने के बाद एक महिला की मौत हो गई। मां का दूध नहीं मिल पाने की वजह से वह बच्ची 14 घंटे तक भूख से तड़पती रही। बाद में उसकी जानकारी आणंद के जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) अमित प्रकाश यादव और उनकी पत्नी एडीशनल चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट चित्रा रत्नू को हुई। दोनों बच्ची के पास पहुंचे। चित्रा रत्नू ने अस्पताल में बच्ची को पहले स्तनपान कराया फिर, पति की सहमति से उसे गोद भी ले लिया। इस तरह बच्ची को मजिस्ट्रेट माता, डीडीओ पिता मिल गया।
उक्त दंपति आणंद जिले में ही तैनात है। दंपति ने यहां से बहने वाली मही नदी के नाम से ही इस बच्ची का नाम मही रखा है। खास बात यह भी है कि मही को एक भाई भी मिल गया है। दरअसल, दंपति के पास डेढ़ साल का एक लड़का भी है, उसका नाम धैवत है। इसके अलावा बेटी मही के जैविक पिता की पहले ही दो पुत्रियां हैं। तीसरी बच्ची का जन्म और पत्नी की मौत से उसे पालने में परेशानी आना तय था। लिहाजा पिता ने भी बच्ची को गोद देने के लिए हामी भर दी।

वडोदरा में हुई थी उसके मां की मौत
आणंद में ऐसा हो रहा है कि जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में प्रसुति के दौरान महिला की मौत होती है तो डीडीओ को जानकारी देनी होती है। ऐसे में जब डिलीवरी के वक्त गर्भवती महिला की हालत नाजुक होने पर 3 अगस्त को डीडीओ को पता चला तो वह सीएचसी और पीएसची के लिए आए। अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने के बाद ही महिला की वडोदरा पहुंचने से पहले मौत हो गई। बारिश की वजह से मृत महिला के परिवार का कोई सदस्य वडोदरा नहीं पहुंच सका था। इस बात का जिक्र डीडीओ अमित यादव ने अपनी पत्नी सीजेएम चित्रा से किया।

पति के ही कहने पर चित्रा ने बच्ची को पिलाया दूध
अमित ने बताया गया कि बच्ची ने पिछले 14 घंटे से कुछ भी नहीं खाया। जिसके चलते पत्नी चित्रा बच्ची को स्तनपान कराने को तैयार हो गई। बाद में अमित ने कहा कि हमने बच्ची के पिता और परिवार से बात कर उसे गोद लेने का फैसला किया है। इस बच्ची को गोद लेने के लिए जरूरी सभी प्रक्रिया को पूरा किया गया है। दंपति के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में अपना योगदान दिया है। अब राज्यभर में लोग उनके द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं।
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