महराजगंज के बृजमनगंज कस्बे के चर्चित सुनील गुप्त हत्याकांड का पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में सुनील के पिता दीपचंद व छोटे भाई अनिल गुप्त को मंगलवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस कार्यालय में एएसपी आशुतोष शुक्ल ने बताया कि मामूली विवाद में हत्या की यह घटना हो गई। पिता दीपचंद ठेला पर फल बेचने का कारोबार करता था। वह चाहता था कि बड़ा बेटा सुनील(30) भी ठेला लगाने में सहयोग करे, लेकिन बेटे को दोस्तों के साथ घूमना-फिरना पसंद था। यह बात पिता को नागवार लगती थी।
घटना के एक दिन पहले भी बाप-बेटा मे तकरार हुई थी। दूसरे दिन फिर घर में मारपीट हो गई। सिर में चोट लगने से सुनील खून से लथपथ होकर गिर पड़ा। कानूनी कार्रवाई से बचने व हत्या को हादसा करार देने के लिए पिता व छोटे भाई ने ठेला पर फल का छिलका फेंकने के बहाने सुनील के शव को छिलका में छिपाकर घर से पांच सौ मीटर दूर कस्बा के पश्चिम स्थित पोखरा में फेंक दिया था। अज्ञात में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था शव। सुनील का शव बृजमनगंज के पोखरा में 4 अक्तूबर को करीब 12 बजे बरामद हुआ था। एक दिन पहले वह लापता हुआ था। पोखरे में मछलिया चेहरे का कुछ हिस्सा खा ली थीं। शव बरामद होने के बाद दीपचंद ने पहचानने से इंकार कर दिया था। वहीं आसपास व मित्र सुनील के शव की पहचान कर रहे थे। पांच अक्तूबर को जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे उसके पिता ने कपड़े व अन्य आधार पर शव की पहचान करते हुए बताया कि वह उसका ही बेटा सुनील है। इसके बाद भी वह पूरी घटना को छिपाए रहा।
बेटे की हत्या में वादी से हत्यारोपित बना पिता। घटना के एक सप्ताह बाद पिता दीपचंद ने बृजमनगंज थाना में अपने पुत्र सुनील गुप्त के हत्या के मामले में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस छानबीन शुरू की। दोस्तों से पूछताछ की। सुनील के अलावा उसके पिता व भाई के मोबाइल के काल डिटेल को खंगाला। परिजनों ने बताया कि वह रात सात बजे से लापता हुआ। जबकि मोबाइल घर पर मिला। वह नौ बजे तक चैटिंग किया था। पिता व छोटे भाई के मोबाइल पर रात में 11 बजे से दो बजे तक कई बार काल किया गया था। इससे शव की सुई परिजनों की तरफ ही घूम रही थी। जांच के दौरान विवेचक बदल गए। नए थानाध्यक्ष विनोद कुमार राय ने जांच को आगे बढ़ाया। घटना की सभी कड़ियां एक-दूसरे से जुड़ते हुए पिता व छोटे भाई तक पहुंची। पूछताछ में पिता व भाई ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। बताया कि हत्या का कोई इरादा नहीं था। कहासुनी के बीच विवाद में सुनील को चोट लग गई और उसकी मौत हो गई। कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए शव को ठेला पर लाद कर लेजाकर पोखरे में फेंक दिया था।