भैंस चोरी के एक मामले को गोहद थाना पुलिसस पांच घंटे में भी नहीं निबटा पाई। जब यह मामला हनुमानजी के कोर्ट में पहुंचा तो पांच मिनट के भीतर ही निर्णय हो गया। उसके बाद भैंस को असली मालिक को सौंप दिया गया। भैंस का असली मालिक कौन है, इस विवाद को सुलझाने के लिए पुलिस पांच घंटे तक माथापच्ची करती रही, मगर कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा था। जानकारी के अनुसार करीब तीन वर्ष पहले पान सिंह ने अपनी भैंस की पड़िया रूरी का पूरा निवासी नवल जाटव को बटाई के लिए दी थी। हाल ही में नवल सिंह उस भैंस को लेकर पशु हाट गोहद में बेचने के लिए आया जैसे ही इस बात की जानकारी पान सिंह को लगी तो वे आकर कहने लगे कि हमने भैंस को आपको बटाई के लिए दी थी। आप इसे बेच रहे हो।
हमारी है भैंस
नवल सिंह ने कहा कि ये भैंस तो हमारी है। मामले में विवाद की स्थिति जब उत्पन्न हुई तो मामला गोहद थाना पहुंच गया। जहां यह तय कर पाना मुश्किल था कि आखिर भैंस किसकी है तो आखिर में कोई घंटों बाद यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्षों में भैंस जिसकी तरफ चली जाएगी भैंस उसी की मानी जाएगी। जब भैंस को छोड़ा गया तो वो दोनों ओर जाने के बजाए तीसरी ओर चली गई।
हनुमानजी की कोर्ट में गया मामला
उसके बाद मामला हनुमानजी की अदालत में गया। तय किया गया कि थाना परिसर में बने हनुमान मंदिर पर जो भैंस का रस्सा लेकर चढ़ेगा भैंस उसी की मानी जाएगी। दोनों पक्ष काफी देर तक गुमशुम विचार करते रहे। पान सिंह भैंस की रस्सी लेकर हनुमानजी की तरफ मंदिर पर चढ़े तो नवल सिंह जोर से चिल्लाने लगा- मैं झूठ बोल रहा हूं। यह भैंस मैंने बटाई पर ली थी मैं मंदिर पर चढ़ूंगा। यह भैंस मैंने इनको दी। यह कहते हुए थआने से चला गया। गोहद थाना प्रभारी संजय इक्का ने कहा कि भैंस के मालिक का पता लगाने के लिए मैं पिछले पांच घंटे से परेशान था। समक्ष में नहीं आ रहा था कि क्या करें। हर प्रयास विफल हो रहा था। मंदिर चढ़ने की बारी आई तो नवल सिंह ने स्वीकार कर लिया। भैंस मेरी नहीं है। भगवान से हर व्यक्ति को डरना चाहिए।