मध्यप्रदेश के देवास में लोक अदालत ने एक अजीब मामले को सुलझाया है। इस मामले में शादी के बाद एक पति अपनी पत्नी से इस बात को लेकर तलाक ले रहा था कि उसके ससुरालवालों ने शादी में उसे घोड़ी पर नहीं बिठाया। शादी के बाद दोनों के तीन बच्चे भी हैं। लेकिन लोक अदालत के जजों ने इस परिवार को टूटने से बचा लिया है। दरअसल, 2008 में शादी के बाद पति अक्सर अपनी पत्नी से इसी बात पर लड़ता था कि तुम्हारे घर वालों ने मुझे घोड़ी पर नहीं बिठाया। जब भी कोई विवाद होता तब भी यही बात उनके बीच की दूरियों की वजह बन जाती।
सालों बाद जब यह मामला कोर्ट पहुंचा तो न्यायाधीश ने उसे बेहतरीन तरीके से सुलझाया और कोर्ट में ही घोड़ी बुलवाकर तीन बच्चों के पिता को घोड़ी पर बैठा दिया। यहां बारात भी निकाली गई और कोर्ट परिसर में बारातियों के स्वागत को लेकर और उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच की दूरियां हमेशा के लिए खत्म हो गई और वो फिर से एक हो गए। 2008 में भौरसा में कुमावत समाज का सम्मेलन हुआ था। तब यहां देवास के रहने वाले पवन कुमावत की शादी छोटा मालसा खेड़ा निवासी करुणा से हुई थी। शादी में पवन घोड़ी पर नहीं बैठ सका था इसी वजह से शादी के बाद वह अपनी पत्नी को ताने मारता था। शादी के बाद दो बेटी और एक बेटा भी हो गया। फिर भी इसी बात पर दोनों में विवाद होता था।
इस बीच नाराज पत्नी अपने बेटे को लेकर मायके चली गई और बेटियों को पति के पास छोड़ दिया। इस बीच वह पत्नी को बुलाने की कोशिशें की लेकिन वह नहीं आई। तीन साल पहले पवन ने तलाक का नोटिस भेज दिया और मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा। शनिवार को देवास में लगी लोक अदालत में दोनों को बुलाया गया। उसके बाद जज दोनों के अलग होने की वजह जानकर आश्चर्यचकित रह गए। इसके बाद जज ने आज लोक अदालत में ही पति को फिर से दूल्हा बनाकर घोड़ी पर बिठाया। फिर क्या था पवन कोर्ट के आसपास बारात घुमाते हुए लेकर आया। उसके बाद जजों ने बारातियों के खाने-पीने की व्यवस्था कोर्ट की कैंटीन में ही की। कोर्ट में ही न्यायाधीशों ने करुणा का हाथ फिर से पवन को सौंपा और दोनों को आशीर्वाद देकर विदा किया। इस नजारे को लोग देखते रह गए।